Red Light Area: रेड लाइट एरिया ये शब्द सुनने के बाद समाज अपने कानों को बंद कर लेता है. क्योंकि इस शब्द और इस बात को खुलेतौर पर लोग करने से बचते हैं. लेकिन जब पूछा जाएगा कि आप रेड लाइट एरिया के बारे में क्या जानते हैं.
तो शायद आप यहीं कहेंगे कि जहां महिलाएं ग्राहकों से अपने ज़िस्म का सौदा करती हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन इलाक़ों को रेड-लाइट एरिया क्यों कहा जाता है? आज हम आपको बताएंगे इसके पीछे की कहानी.
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रेड लाइट ही नाम क्यों
रेड लाइट एरिया को लेकर कई कहानियां है. एक कहानी ये है कि जब अमेरिका के कंसास में रेल वर्कर कोठों पर जाते थे, तो साथ में लाल रंग की लालटेन भी लेकर जाते थे, वहां बाहर रखी लालटेन अंदर रेलवर्कर के होने का संकेत देती थी, इससे ज़रूरत पर उन्हें आसानी से तलाश लिया जाता था. इसके अलावा एक कहानी ये है
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कि अमेरिका या यूरोप के शहरों में जहां वेश्याओं के जमावड़े के साथ सेक्स शॉप, स्ट्रिप क्लब और वयस्कों के थिएटर होते हैं, उन इलाक़ों को रेड-लाइट डिस्ट्रिक्ट या प्लेज़र डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है. बता दें कि दुनिया के कई बड़े शहरों में रेड-लाइट डिस्ट्रिक्ट हैं. माना जाता है कि चकलों या कोठों की पहचान के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रेड लाइट के कारण ही रेड-लाइट डिस्ट्रिक्ट और रेड-लाइट एरिया नाम चलन में आया है.
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Red Light: भारत में रेड लाइट एरिया
भारत में आम बोलचाल की भाषा में आज भी उन इलाक़ों को रेड-लाइट एरिया कहा जाता है, जहां संगठित रूप से कोठों पर वेश्यावृत्ति होती है. भारत में मुंबई के कमाठीपुरा को एशिया का सबसे पुराना रेड-लाइट एरिया माना जाता है. इसके अलावा कोलकाता के सोनागाछ़ी की गिनती एशिया के सबसे बड़े रेड-लाइट एरिया में होती है. राजधानी दिल्ली में जीबी रोड पर भी बड़ा रेड-लाइट एरिया है. इसके अलावा पुणे का बुधवार पेठ, प्रयागराज का मीरगंज, वाराणसी का शिवदासपुर, बिहार के मुजफ्फरपुर के चतुर्भुज स्थान, नागपुर के इतवारी और ग्वालियर के रेशमपुरा रेड-लाइट को बड़े रेड लाइट एरिया के रूप में जाना जाता है.
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Red Light: दुनिया के बड़े देश
दुनिया के हर देश में लगभग बड़े पैमाने पर देह-व्यापार होता है. इनमें सबसे पहला नाम नीदरलैंड की राजधानी एम्सटर्डम का है. एम्सटर्डम के रेड-लाइट एरिया को डी-वॉलेन कहा जाता है. ये माना जाता है कि डी-वॉलेन की मौजूदगी 13वीं या 14वीं शताब्दी से है.
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बता दें कि इस बेहद खूबसूरत इलाक़े में नहर के किनारे ग्लास के केबिन बने होते हैं. इन केबिनों की संख्या करीब 300 बताई जाती है, शाम के समय इन ग्लास-केबिनों में लाल बत्ती जलाई जाती है, इतना ही नहीं यहां वेश्यावृत्ति को क़ानूनी संरक्षण दिया गया है. डी-वॉलेन के कोठों से सरकार टैक्स भी वसूलती है.
ये माना जाता है कि
स्विट्जरलैंड के ज़्यूरिख का रेड-लाइट एरिया है. यहां पर रेड-लाइट एरिया में लोग सिर्फ कार से जाते हैं और किसी प्रॉस्टिट्यूट से सीधे बात करते हैं, यहां दलालों की मौजूदगी नहीं होती है. ज़्यूरिख में वेश्यावृत्ति को 1942 में क़ानूनी संरक्षण हासिल हुआ था. माना जाता है कि अभी यहां करीब दो हज़ार महिलाएं वेश्यावृत्ति करती हैं.
जापान की राजधानी टोक्यो के काबूकिचो में देश का सबसे बड़ा रेड-लाइट एरिया है. वहीं जर्मनी के हैम्बर्ग में भी वेश्यावृत्ति होती है. इसके अलावा हॉन्गकॉन्ग के वेन-चाई में भी एक रेड-लाइट एरिया है. अफ्रीकी देश केन्या में वैसे तो वेश्यावृत्ति ग़ैर-कानूनी है