Congress party: कांग्रेस पार्टी को भारत जोड़ाे न्याय यात्रा के आगाज से पहले ही मुंबई में बड़ा झटका लगा है। यात्रा के पहले संस्करण में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर चले मिलिंद देवड़ा ने अब अलग चलने का फैसला किया है। देवड़ा ने राहुल गांधी की मणिपुर से मुंबई की यात्रा से पहले ही अपना राजनीतिक यात्रा बदल ली हैं। वे अब महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना का चेहरा बनकर अपने राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाएंगे।
अपने पिता मुरली देवड़ा जो जीवनभर कांग्रेस के साथ रहे आखिर उनके बेटे ने एक झटके में कांग्रेस से अपने परिवार का 55 साल पुराना नाता क्यों तोड़ दिया?
मिलिंद देवड़ा राहुल गांधी के नजदीकियों में शामिल थे।
पूर्व में वह मुंबई कांग्रेस की जिम्मेदारी भी संभाल चुके थे।
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पार्टी ने 34 साल की उम्र में उन्हें यूपीए-2 में केंद्र में राज्य मंत्री भी बनाया था।
तब यह कहा गया था मिलिंद देवड़ा को राहुल गांधी की वजह से मनमोहन सिंह मंत्रीमंडल में जगह मिली।
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क्या अलग हुए रास्ते?
मिलिंद देवड़ा कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे मिलिंद देवड़ा के बेटे हैं।
उनके पिता मुंबई के मेयर के साथ संसद के दोनों सदनों सदस्य और केंद्र सरकार में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के मंत्री रहे।
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मिलिंद देवड़ा ने अपने पिता के रहते हुए राजनीति में इंट्री की थी।
वे कम उम्र में सांसद और फिर मंत्री बने, लेकिन पिछले दो चुनावों से उन्हें अपने पिता की परंपरागत सीट मुंबई दक्षिण से हार का सामना करना पड़ रहा था।
देवड़ा को उम्मीद थी कि पार्टी 2024 के चुनावों में पार्टी उन्हें फिर से मौका देगी,
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लेकिन इस सीट पर अभी उद्धव ठाकरे गुट के नेता अरविंद सावंत का कब्जा है।
सावंत शिवसेना में बगावत होने के बाद भी उद्धव के वफादार बने हुए हैं।
ऐसे में शिवसेना (उद्धव ठाकरे) इस सीट को किसी सूरत में कांग्रेस को नहीं देना चाहते थे।
पिछले दिनों जब उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने इस इलाके में राजनीतिक कार्यक्रम करते हुए हुंकार भरी थी और कहा कि अपना टाइम आएगा?
ठाकरे ने इशारों में शिवसेना (UBT) की दावेदारी जताई थी।
तब मिलिंद देवड़ा ने अपनी नाराजगी व्यक्त की और कहा था
कि सीटों पर बंटवारा होने तक गठबंधन के दलों को ऐसा नहीं करना चाहिए।
Congress party: मुंबई दक्षिण के लिए बदला रुख
सूत्रों की मानें मुंबई दक्षिण की सीट जहां से चार बार मुरली देवड़ा और दो बार खुद मिलिंद देवड़ जीते।
वह सीट मिलिंद देवड़ा नहीं छोड़ना चाहते थे।
इस सीट के I.N.D.I.A अलायंस के सीट शेयरिंग में शिवसेना (UBT) के खाते में जाते हुए देखकर उन्होंंने आखिर में अपनी नई राजनीतिक यात्रा का मन बना लिया।
चर्चा है कि उद्धव ठाकरे के साथ जमे हुए अरविंद सावंत की छवि और लोकप्रियता इस क्षेत्र में काफी है।
ऐसे में एकनाथ शिंदे को इस सीट पर ऐसे मजबूत चेहरे की तलाश थी जो न सिर्फ अरविंद सावंत को टक्कर दे,
बल्कि अगर उनकी तरफ से इस सीट के लिए दावेदारी की जाए तो बीजेपी भी मना नहीं कर पाए।
इस तरह से एकनाथ शिंदे की तलाश मिलिंद देवड़ा पर खत्म हुई।
जब कांग्रेस के सभी नेता मणिपुर का रुख कर रहे थे
तभी रात में यह सूचना राजनीतिक हलकों में फैली की मकर संक्राति पर सूर्य की दिशा में परिवर्तन होता है
तब एक कांग्रेस नेता भी अपनी राजनीतिक दिशा बदलने जा रहे हैं।
सुबह मिलिंद देवड़ा ने खुद सोशल मीडिया पर कांग्रेस छोड़न का ऐलान कर दिया।
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Congress party: एक लाख वोटों से हारे थे देवड़ा
2019 के लोकसभा चुनावों में मिलिंद देवड़ा और अरविंद सांवत के बीच मुकाबला हुआ था।
2024 में भी एक बाद दोनों के बीच ही मुकाबला होने की उम्मीद बढ़ गई है।
पिछले चुनावों में शिवसेना और बीजेपी के उम्मीदवार रहे अरविंद गणपत सावंत को 421,937 लाख वोट मिले थे,
जबकि मिलिंद देवड़ा को 3,21,870 वोट मिले थे।
उन्हें 1,00,067 वोट हार का सामना करना पड़ा था।
इस सीट पर वंचित बहुजन आघाडी के उम्मीदवार रहे अनिल चौधरी को 30,348 वोट मिले थे।
मिलिंद देवड़ा ने 2014 के मुकाबले अपने वोटों की संख्या में बढ़ोत्तरी की थी, लेकिन वे जीत नहीं पाए थे।
मिलिंद देवड़ा 2004 में बीजेपी के मौजूदा सांसद रहीं जयवंती मेहता और हराकर पहली बार जीते थे।
दूसरी बार 2009 में उनका मुकाबला महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ हुआ था।