Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में जुटी हैं। वहीं, कांग्रेस पार्टी यूपी में हासिए पर चल रही है। प्रियंका गांधी के बाद प्रदेश प्रभार की जिम्मेदारी अविनाश पांडेय को सौंपी गईं हैं। प्रियंका गांधी जब यूपी प्रभारी थीं, तो उन्होंने फाइव स्टार कल्चर को खत्म कर दिया था। जब यूपी आती थीं, तो जमीनी नेताओं के साथ बैठकर रणनीति तैयार करती थीं।
प्रियंका गांधी के रहते हुए कार्यकर्ता विहीन धन्नासेठों की एक नहीं चलती थी। नए प्रदेश प्रभारी के आते ही एक बार फिर से पूंजीपति नेता सक्रिय हो गए हैं। पूंजीपति नेता लोकसभा टिकट की दावेदारी करते हुए, प्रदेश प्रभारी के लिए लजीज व्यंजन, ठग्गू के लड्डू और बनारसी लड्डू के डिब्बे गाड़ियों रखते हुए नजर आए।
राष्ट्रीय महासचिव और नए प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय कानपुर-बुंदेलखंड के संवाद कार्यशाला कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कानपुर पहुंचे थे। कांग्रेस के संवाद कार्यशाला कार्यक्रम में आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर रणनीति तैयार करनी थी।
इसके साथ ही राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के यूपी में प्रवेश करते ही, भव्य स्वागत की तैयारियों पर योजना तैयार करनी थी। लेकिन कांग्रेस के पूंजीपति नेताओं ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। बल्कि यह भी कहा सकता है कि धन्नासेठों ने इस पूरे कार्यक्रम को हाईजेक कर लिया।
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जमीनी कार्यकर्ता आसपास भटक भी नहीं पाए
कानपुर-बुंदेलखंड के कई जिलों से कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता नए प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय को सुनने और उनके साथ चर्चा करने के लिए आए थे। लेकिन पूंजीपति नेताओं ने जमीन कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को उनके आसपास भटकने भी नहीं दिया।
दूर-दराज जिलों से आए पदाधिकारी और कार्यकर्ता मायूस होकर वापस लौट गए। दरअसल कांग्रेस की आपसी फूट ही उसकी पतन की वजह है। कानपुर के कई नामी पूंजीपति नेता लोकसभा टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
Lok Sabha Elections: नामचीन क्लब में लंच
कानपुर के बड़े शिक्षा कारोबारी कार्यकर्ता विहीन नेता सिर्फ होर्डिंग में नजर आते हैं। कांग्रेस कार्यकर्ता के कहने पर अपने स्कूल में एडमीशन भी नहीं लेते हैं। लोकसभा टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
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प्रदेश प्रभारी की गाड़ी में बैठकर अपनी दावेदारी को मजबूत बताते रहे। इसके बाद शहर के एक बड़े नामचीन क्लब में प्रदेश प्रभारी के साथ लंच किया। दरअसल कांग्रेस नेताओं को लग रहा है कि इंडिया गंठबंधन की टिकट पर यदि चुनाव लड़े, तो जीत पक्की है।
पांच सितारा कल्चर की हुई वापसी
यह नजारा देखकर आम कार्यकर्ता जो इतनी भीषण ठंड के बावजूद अपने नेता से रुबरु होने और उन्हें सुनने आया था। वो जमीनी कार्यकर्ता असहज नजर आने लगा। एक बार फिर से पनप उठे पांच सितारा कल्चर से व्यथित होकर वापस चला गया। ग्रामीण क्षेत्र से आए एक कार्यकर्ता ने नाम नहीं लिखने के शर्त पर कहा कि अब अगर ये कल्चर फिर से आ रहा है
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तो अब कांग्रेस को वोट तो जरुर दूंगा लेकिन उसके कार्यक्रमों में नहीं आऊंगा। बस यही सब काम प्रियंका गांधी के समय नही हो पा रहा था। कांग्रेस को अपना जेब का संगठन समझने वाले पूंजीपतियों का बोलबाला खत्म हो चुका था। लेकिन अब ऐसा लगता है की संघर्ष करने वाले नवजवानों को मिलने वाला मौका समाप्त होता दिख रहा है।
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Lok Sabha Elections: प्रियंका गांधी ने जमीनी नेताओं पर जताया था भरोसा
कानपुर निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने पहली बार किसी जमीनी नेता को मेयर की टिकट दी थी। जिसका श्रेय प्रियंका गांधी को जाता है। इसी प्रकार विधानसभा में भी उन्होंनें कई जमीनी नेताओं को टिकट दी थी।
कांग्रेस प्रत्याशी जीत तो दर्ज नहीं कर पाए थे। लेकिन उनका मनोबल बढ़ा था। कार्यकर्ता जमीन में रहकर दिन-रात संगठन के लिए काम करता है। पुलिस की लाठियां खाता है, मुकदमें झेलता है। लेकिन पूंजीपति नेता पैसों के दमपर संगठन में अपनी शाख बनाए रखते हैं।