National Consumer Day: ‘जागो ग्राहक जागो’ ये स्लोगन करीब दो दशकों से उपभोक्ताओं के बीच है. मगर आज भी आम जनता में अपने हक और अधिकारों की समझ कम ही है. अखबारों में आए दिन ऐसी खबरें मिलती हैं कि उपभोक्ता खरीदारी के दौरान ठगी के शिकार हुए.
उन्हें आगे की लड़ाई कैसे लड़नी है, वह इससे अनजान हैं. उपभोक्ता को अवेयर करने के लिए भारत सरकार हर साल 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाती है. इस दिन उपभोक्ताओं को उनके अधिकार और जिम्मेदारियों को याद दिलाने का प्रयास होता है. आइए जानते हैं कि 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस क्यों मनाया जाता है.
आइए जानते हैं कि
आपको बता दें कि 24 दिसंबर साल 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम विधेयक को पारित किया गया. वर्ष 1991 और 1993 में इस अधिनियम में कई बदलाव किए गए. इस अधिनियम को अधिक से अधिक उपयोग में लाने के लिए वर्ष 2002 के दिसंबर माह में एक व्यापार संशोधन लाया गया. बाद में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को 15 मार्च 2003 से लागू किया गया. आपको बता दें कि उपभोक्ता संरक्षण नियम को 1987 में भी बदला गया. 5 मार्च 2004 को इसे पूर्ण रूप से नोटिफाई कर दिया गया.
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पहली बार राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस सन् 2000 में मनाया गया था. इसके बाद हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाने लगा. 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाने का उद्देश्य ग्राहकों को जागरूक करना है. इस दौरान जगह-जगह सेमिनार का आयोजन करके उपभोक्ताओं को जागरूक करने का प्रयास होता है.
National Consumer Day: क्या है उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उपभोक्ताओं को उनके अधिकार देने के लिए लागू किया गया. इस अधिनियम के तहत अब कोई भी उपभोक्ता अनुचित खरीददारी की शिकायत कर सकता है.
इसके तहत ग्राहक के लिए कई कानून बनाए गए हैं. आजादी के बाद इस तरह के नियम न होने की वजह से व्यापारिक लेनदेन में हेराफेरी के मामले सामने आते थे. इसकाे ध्यान रखते हुए इस अधिनियम को तैयार किया गया है.
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लोग अब इन अधिकारों का उठा सकते फायदा
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ताओं को सूचना का अधिकार, पसंद का अधिकार, सुनवाई का अधिकार, निवारण का अधिकार और शिक्षा का अधिकार दिया गया है. इन अधिकारों का इस्तेमाल कर के अब उपभोक्ता किसी भी समस्या का हल जान सकते हैं. गौरतलब है कि इस साल राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस का थीम सस्टेनेबल कंज्यूमर रखा गया है.
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National Consumer Day: क्या है राइट टू हर्ड
राइट टू हर्ड (Right to heard) के जरिए ग्राहकों को यह अधिकार मिलता है कि किसी भी तरह के अन्याय होने की स्थिति में ग्राहक अपनी शिकायत को कंज्यूमर कोर्ट में ले जा सकता है. इस दौरान अदालत ग्राहक की पूरी बात सुनेगी और उन्हें न्याय देगी.
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राइट टू रिड्रेसल की मदद से उपभोक्ता खराब प्रोडक्ट मिलने पर अच्छे प्रोडक्ट की डिमांड कंपनी या दुकानदार से कर सकता है. अगर कंपनी या दुकानदार इसे बदलने से मना करता है तो ग्राहक कंज्यूमर अदालत का रुख कर सकता है. इसके अलावा ग्राहक किसी तरह के फ्रॉड होने की स्थिति में शिकायत कर सकता है.
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जानें उपभोक्ता के क्या हैं अधिकार
देश के हर उपभोक्ता को उन उत्पादों के साथ सेवाओं से सुरक्षा का हक है, जो उनके जीवन या संपत्ति को क्षति पहुंचाता है.
देश के हर उपभोक्ता को उत्पाद तथा सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, प्रभाव, शुद्धता, मानक और मूल्य के बारे में पूरी जानकारी लेने का अधिकार है.
उपभोक्ताओं को तय एमआरपी से ज्यादा का सामान नहीं बेचा जा सकता है. इसकी शिकायत उपभोक्ता कर सकता है.
उपभोक्ता विभिन्न मंचों पर जाकर अपनी समस्या से जुड़ी शिकायत करने का अधिकार है.