Surajpal Baba: महल जैसी ऊंची-ऊंची दीवारें, बाहर बंकर में पुलिस की तरह वर्दी पहने सेवादार, बड़ा सा लोहे का गेट, जिस पर लिखा है ‘सत्य रूपी ज्वाला साकार विश्व हरि की संपूर्ण ब्रह्मांड में सदा-सदा के लिए जय जय हो। ये कासगंज के बहादुरनगर में सूरजपाल बाबा का आश्रम है। वही सूरजपाल बाबा जिसके सत्संग में मची भगदड़ से 123 मौतें हो गईं।
इस हादसे के बाद दैनिक भास्कर सूरजपाल के गांव बहादुरनगर पहुंचा। उन लोगों से बात की, जो हेड कॉन्स्टेबल से बाबा बने सूरजपाल को कई साल से जानते हैं।
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Surajpal Baba: सेवादार फ्री में ड्यूटी कर रहे
बहादुरनगर गांव में एंट्री से पहले ही सूरजपाल बाबा के आश्रम की ऊंची दीवारें दिखने लगती हैं। ये आश्रम करीब 10 बीघा जमीन पर बना है। इसके सामने का हिस्सा किसी महल की तरह दिखता है। ऐसी हवेली पूरे कासगंज और हाथरस में नहीं है।
गेट पर तीन सेवादार तैनात हैं। ये लोग 4-4 घंटे की सेवा, यानी ड्यूटी करते हैं। हमने पूछा आश्रम में कौन-कौन है? जवाब मिला- ‘कोई नहीं। सभी लोग सुबह ही कहीं चले गए हैं।
गांववालों से पता चला कि ये आश्रम 1999 में बना था। सूरजपाल और उनकी पत्नी कभी-कभार ही यहां आते हैं। गांववाले ये भी बताते हैं कि कोई भी आश्रम में रात में नहीं रुक सकता।
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मैं और सूरजपाल बचपन में साथ खेले और पढ़े
आश्रम के बाद हम गांव में निकले। यहां हमें 68 साल के सुरेश मिले। सुरेश खुद को सूरजपाल बाबा
का दोस्त बताते हैं। वे कहते हैं, ‘मैं और सूरजपाल बचपन में साथ खेले और पढ़े हैं। वो मुझसे 5
साल बड़ा है।
हमने सुरेश के सूरजपाल और उसके परिवार के बारे में पूछा। सुरेश बताते हैं, ‘सूरजपाल हवलदार था,
तब भी पूजा-पाठ में लगा रहता था। फिर सत्संग में जाने लगा, ध्यान करने लगा। वो तीन भाई थे। सबसे बड़े
सूरजपाल, दूसरे नंबर पर भगवान दास थे, जिनकी मौत हो चुकी है और तीसरे नंबर पर राकेश कुमार हैं।
राकेश गांव के प्रधान भी रहे हैं। तीन साल पहले भी उन्होंने प्रधानी का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए थे।
गांववाले बताते हैं कि राकेश कुमार 3 जुलाई की सुबह ही गांव छोड़कर चले गए हैं। उन्हें डर था पुलिस
अरेस्ट कर सकती है। सब ठीक होने के बाद ही वे गांव में आएंगे।
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गांव में बाबा के चमत्कार के भी चर्चे
गांव के अनिल कुमार सूरजपाल बाबा की कहानी को एक चमत्कार से जोड़ते हैं। वे बताते हैं,
एक व्यक्ति की ज्वेलरी शॉप थी। शॉप से पूरा सोना चोरी हो गया था। बाबा की कृपा से अगले दिन
सारा सोना दुकान पर वापस आ गया। इसके बाद उस व्यक्ति ने बाबा को एक गाड़ी गिफ्ट की थी।
इसके बाद बाबा लोगों में पॉपुलर हो गए।