Ram Navami: देश में हर तरफ राम मंदिर को लेकर चर्चाएं हैं। लोग 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा को लेकर काफी उत्सुक हैं और राम मंदिर के बारे में हर एक बारीक से बरीक चीज जानना चाहते हैं। इसी मकसद से इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल-2023 में राम मंदिर का मॉडल लगाया गया है।
यह मॉडल काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के अंतर्गत आने वाली सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट (CSIR-CBRI) ने लगाया है। यहां स्कूली छात्रों और फेस्टिवल में आए साइंटिस्ट बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। राम मंदिर के डेमो स्ट्रक्चर के साथ सेल्फी और फोटो क्लिक कराने का सबसे अधिक क्रेज दिखाई दे रहा है। इस दौरान इंस्टिट्यूट ने मंदिर मॉडल की खास बातें बताईं।
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2500 सालों तक आने वाला भूकंप नहीं हिला सकेगा नींव
CBRI के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. देबदत्ता घोष ने बताया कि उन्होंने ही राम मंदिर की डिजाईन तैयार की है। राम मंदिर के निर्माण में पूरे स्ट्रक्चर को इस तरह से स्टडी करके बनाया गया है कि आने वाले 2500 साल तक जो भूकंप के झटके आएंगे वो इसकी नींव को हिला भी नहीं पाएंगे।
मंदिर के पिलर की मोटाई बढ़ाई गई है और दीवारों पर भारी पत्थर भी लगाए है। मंदिर की नींव को भारी पत्थरों से मजबूत बनाया गया है। वहीं मंदिर को ऊपर से नीचे एक ऐसी मजबूती दी गई है, जिससे ये भूकंप के झटकों को भी झेल सके। इससे मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।
Ram Navami: 50 मॉडल किए गए थे तैयार, हवा का भी हुआ लोड टेस्ट
मंदिर के 50 कंप्यूटर मॉडल को एनालाइज करने के बाद फाइनल मॉडल को प्रपोज किया गया जो हर तरह की लोडिंग सह सके जैसे भूकंप, विंड लोड। सुपरस्ट्रक्चर में जो बंसी पहाड़पुर (सैंड स्टोन) लगे वह सभी CBRI में टेस्ट हुए, वहां से जो मैटेरियल प्रॉपर्टीज प्राप्त हुई, वह कंप्यूटर मॉडल के अंदर डाली गई और स्ट्रक्चर की परफॉर्मेंस देखा गया।
जो मॉडल फाइनलाइज हुआ वो आर्किटेक्चरल अपीलिंग एवं स्टेकहोल्डर से एक्सेप्टेबल था और स्ट्रक्चरली सेफ है। इस कार्य को करने के लिए जो टीम डॉ. घोष के साथ रही उसमे सीनियर साइंटिस्ट हिना गुप्ता और प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. मनोजीत सामंथा थे। इस पूरे प्रोजेक्ट के दौरान सीबीआरआई के पूर्व निदेशक डॉ. एन गोपालकृष्णन और वर्तमान निदेशक प्रोफेसर आर प्रदीप कुमार का भी योगदान रहा।
हर रामनवमी पर सूर्य की किरणें करेंगी तिलक
सीनियर साइंटिस्ट डॉ. देबदत्ता घोष ने बताया कि रामलला की प्रतिमा पर सूर्य तिलक हर राम नवमी की तिथि पर होगा। सूर्य की किरण रामलला के प्रतिमा के मस्तिष्क पर तिलक करेंगी।
उन्होंने बताया कि रामनवमी पर दोपहर 12 बजे से 12:06 बजे तक सूर्य की किरणें रामलला के मस्तिष्क पर तिलक करेंगी। इसके लिए CBRI ने ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया है की गर्भ गृह के अंदर सूर्य की किरण जाएगी और प्रभु श्री राम की मूर्ती पर तिलक करेगी।
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Ram Navami: इस तकनीक से होगा तिलक
CBRI के प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. नवल किशोर ने बताया कि ये मैकेनिकल सिस्टम CBRI के चीफ साइंटिस्ट डॉ. एसके पाणिग्रही की टीम ने तैयार किया है। जिसमें बिजली या बैटरी की जरूरत नहीं होती है, विशेष रूप से लोहे या स्टील के बजाय पीतल का उपयोग किया जाता है। मैन्युअल रूप से चलने वाले इस सिस्टम को बनाने में सिर्फ पीतल का उपयोग किया है। यह सर्कुलर तिलक 75 मिमी का होगा, जो रामनवमी के दिन दोपहर में छह मिनट के लिए भगवान राम के माथे को सुशोभित करेगा।
यह खास तिलक हर साल सिर्फ राम नवमी के मौके पर ही दिखाई देगा। मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थापित किए जाने वाले ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम में हाई क्वालिटी मिरर (M1 और M2), एक लेंस (L1), और विशिष्ट कोणों पर लगे लेंस (L2 और L3) के साथ वर्टिकल पाइपिंग शामिल है। ग्राउंड फ्लोर के कपोनेंट्स में मिरर (M3 और M4) और एक लेंस (L4) शामिल हैं। सूरज की रोशनी M1 पर पड़ती है, औरL1, M2, L1, L2, M3 (गर्भगृह के बाहर स्थापित) से होकर गुजरती है और अंत में M4 पर जाती है, जिससे मूर्ति के माथे पर ‘तिलक’ लग जाता है।