Lok Sabha Election: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जननायक जनता पार्टी (JJP) का साढ़े 4 साल पुराना गठबंधन टूट की कगार पर दिख रहा है। लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही दोनों पार्टियों के सीनियर नेता खुलकर एक-दूसरे को आंखें दिखा रहे हैं।
एक ओर, BJP के हरियाणा इंचार्ज बिप्लब देब ने इस्तीफा दिया कि भाजपा सभी 10 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। वहीं, जजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अजय चौटाला ने यह घोषणा की है कि वह खुद या उनका बेटा दिग्विजय चौटाला महेंद्रगढ़-भिवानी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे।
इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा अब इसी साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले छुटकारा पाना चाहती है।
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BJP इंचार्ज बिप्लब देब ने कहा
सभी 10 सीट पर भाजपा के चुनाव निशान कमल पर लड़ा जाएगा। अभी भी सभी 10 सीटों पर भाजपा के ही सांसद चुने हुए हैं। किसी को इस पर कोई शक नहीं रहना चाहिए। हरियाणा से सभी 10 कमल मोदी को जाएंगे“
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अजय चौटाला ने कहा
भाजपा अपना काम कर रही और हम भी फील्ड में काम कर रहे हैं। भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से मैं चुनाव लडूंगा, लेकिन कुछ कानूनी अड़चने हैं, जिन्हें दूर करने की कोशिश की जा रही है। फरवरी तक ये अड़चने दूर हो सकती है। अगर मैं चुनाव नहीं लड़ा तो दिग्विजय चौटाला को चुनाव लड़ाएंगे।
Lok Sabha Election: BJP कोर कमेटी मीटिंग में उठा मुद्दा
एक हफ्ते पहले पंचकूला में BJP की कोर कमेटी की मीटिंग हुई। इसमें भी भाजपा के ज्यादातर नेताओं ने गठबंधन से किनारा करने को कहा। नेताओं ने कहा कि अकेले चुनाव लड़ना ही फायदेमंद है। जजपा से पीछा छुड़ा लेना चाहिए। इसी के बाद दोनों पार्टियों के नेताओं की बयानबाजी तेज हो गई है। हालांकि गठबंधन को लेकर अंतिम फैसला भाजपा के हाईकमान को करना है।
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JJP की CM के गृहक्षेत्र में रैली
BJP का अकेले चुनाव लड़ने का रुख देख जजपा ने भी तेवर दिखाने शुरू कर दिए।
जिसमें उन्होंने वर्करों को लोकसभा चुनाव के लिए तैयार रहने को कह दिया।
अजय चौटाला ने इसमें मिशन 2024 की घोषणा कर दी।
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CM के गृहक्षेत्र में जाकर भाजपा को ललकारने से कयास लगने लगे हैं कि कहीं यह गठबंधन अब औपचारिकता भर तो नहीं रह गया है।
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BJP का यही स्टाइल सहयोगी खुद गठबंधन तोड़े
पिछले कुछ समय से BJP का यही स्टाइल रहा है कि उनके साथ जुड़ी पार्टी खुद गठबंधन तोड़े ताकि उनके सिर पर ठीकरा न फूटे।
ऐसा ही पंजाब में शिरोमणी अकाली दल (बादल) और महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ हो चुका है।
ये दोनों दल लंबे समय भाजपा से गठबंधन में रहे।
मगर, अंत में इन्होंने खुद ही गठबंधन तोड़ लिया। यही फॉर्मूला अब हरियाणा में लागू होता नजर आ रहा है।
जिसमें भाजपा की टॉप लीडरशिप अलग चुनाव के बार-बार बयान देकर जजपा को गठजोड़ तोड़ने के लिए उकसा रही है।
Lok Sabha Election: भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर दावेदारी क्यों?
2008 से पहले भिवानी और महेंद्रगढ़ दोनों अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र होते थे।
मगर, इसके बाद 2009 में हुए परिसीमन के तहत कुछ इलाके को दोनों से अलग कर दिया और भिवानी-महेंद्रगढ़ के रूप में एक लोकसभा सीट बनाई गई।
इसके तहत भिवानी, बाढ़ड़ा, तोशाम, दादरी, लोहारू, अटेली, महेंद्रगढ़, नारनौल विधानसभा क्षेत्र आते है।
इस सीट पर जाट मतदाताओं के साथ-साथ अहीर वोटर भी काफी ज्यादा है।
चौटाला परिवार के लिए ये सीट काफी अहम रही है।
वर्तमान में इसी लोकसभा क्षेत्र की बाढ़ड़ा सीट से अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला विधायक है।
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अजय चौटाला खुद 1999 में यहां से लोकसभा चुनाव लड़कर जीत चुके है।
उन्होंने चौधरी बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह को इस चुनाव में हराया था।
ये पूरा इलाका किसी समय चौधरी बंसीलाल के प्रभाव वाला रहा है।
इनेलो के दो फाड़ होने के बाद भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर जेजेपी ने अपना दबदबा बढ़ाया।
इसी कारण अजय चौटाला इस सीट पर दावेदारी जता रहे है।
हालांकि भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर 2009 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पौत्री|
सुरेंद्र सिंह की बेटी श्रुति चौधरी ने अपने पिता की हार का बदला लेते हुए अजय चौटाला को हराया था।
2014 के बाद से यहां से भाजपा के चौधरी धर्मबीर सिंह लगातार दो बार 2014 और 2019 से सांसद है।
भाजपा ने पिछले लोकसभा चुनाव में तो प्रदेश की सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
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बीरेंद्र सिंह गठबंधन के खिलाफ
पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद सिंह बीजेपी में ऐसे नेता है|
जो पिछले काफी समय से जेजेपी के खिलाफ खुलकर बोल रहे है।
भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ-साथ भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी गठबंधन तोड़ने की सलाह दे चुके है।
बीरेंद्र सिंह ने अक्टूबर में जींद में आयोजित रैली में तो यहां तक कह दिया था|
अगर बीजेपी के साथ भाजपा का गठबंधन रहा तो वह पार्टी में नहीं रहेंगे।
दरअसल, प्रदेश के बांगर (जींद और आसपास) के एरिया में जहां चौधरी बीरेंद्र सिंह का रसूख है
उसी एरिया में जेजेपी की मजबूत पकड़ रही है।
साथ ही जींद की जिस उचाना सीट से चौधरी बीरेंद्र सिंह कई बार विधायक रहे उस सीट से फिलहाल उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला विधायक है।
2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ी बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को ही हराकर दुष्यंत विधायक बने थे।
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Lok Sabha Election: गठबंधन टूटने से क्या हरियाणा सरकार को खतरा है?
गठबंधन को लेकर हरियाणा BJP नेताओं रुख इसलिए भी सख्त है क्योंकि भाजपा का साथ टूटने के बाद भी सरकार को कोई खतरा नहीं है।
इसे ऐसे समझिए कि राज्य में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं।
सरकार को बहुमत के लिए 46 सीटें चाहिए। अभी BJP के पास कुल 41 विधायक हैं।
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10 विधायकों का समर्थन जजपा से है। इस वक्त 4 निर्दलीय विधायक खुलकर सरकार के साथ हैं|
हलोपा के संयोजक गोपाल कांडा भी सरकार के साथ होने का ऐलान कर चुके हैं।
इन 5 विधायकों को मिलाकर भाजपा सरकार के बहुमत की स्थिति में है। इनके अलावा भी दो और निर्दलीय विधायक सरकार का अप्रत्यक्