Bhadrakali Shaktipeeth: कहते हैं कि भद्रकाली शक्तिपीठ में श्री कृष्ण और बलराम का मुंडन हुआ था। यह भी मान्यता है कि महाभारत युद्ध में विजय का आशीर्वाद लेने के लिए पांडव श्री कृष्ण के साथ यहां आए थे। मनोकामना पूर्ण होने के बाद पांडवों ने मंदिर में आकर घोड़े दान किए थे। तभी से घोड़े दान करने की प्रथा चली आ रही है।
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कुरुक्षेत्र में स्थित है भद्रकाली देवीकूप मंदिर
भद्रकाली देवीकूप मंदिर कुरुक्षेत्र में स्थित है। मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर में सती माता का दाहिना टखना गिरा था और इसके बाद यह प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां काली के आठ स्वरूपों में से एक है। आइए आपको बताते हैं कि इस मंदिर की क्या खासियत है और लोगों में किस तरह की मान्यताएं हैं।
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Bhadrakali Shaktipeeth: भद्रकाली शक्तिपीठ का इतिहास
भद्रकाली शक्तिपीठ का इतिहास माता सती से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि जब भगवान शिव सती के
मृत शरीर को लेकर ब्रह्मांड में विचरण करने लगे, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को कई
भागों में विभाजित कर दिया। जहां-जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ
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मां भद्रकाली देवीकूप में सती माता का दाहिना टखना गिरा था
मां भद्रकाली देवीकूप में सती माता का दाहिना टखना गिरा था। पुराणों के अनुसार भगवान कृष्ण और
बलराम का मुंडन संस्कार भी यहीं हुआ था। इस मंदिर का संबंध महाभारत से भी माना जाता है। युद्ध से
पहले भगवान कृष्ण ने अर्जुन से मां भद्रकाली की पूजा करने को कहा था।
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Bhadrakali Shaktipeeth: चढ़ाए जाते हैं सोने, चांदी और मिट्टी के घोड़े
अर्जुन ने कहा था कि युद्ध जीतने के बाद वह यहां घोड़ा चढ़ाने आएंगे। युद्ध जीतने के बाद अर्जुन ने मां
को अपना सबसे अच्छा घोड़ा चढ़ाया था। तब से मान्यता है कि यहां भक्त सोने, चांदी और मिट्टी के