FD High Interest Rates: अगर आप फिक्स डिपॉजिट में निवेश करने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है आज आपको इस आर्टिकल में ऐसे चार बैंकों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने हाल ही में एफडी की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है चलिए जानते हैं…
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बढ़ती ब्याज दरों के कारण पहले से अधिक लोग सावधि बचत योजनाओं (FD) ¸में इन्वेस्ट कर रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मुताबिक, कुल बैंक जमाओं में ऐसे निवेश माध्यमों की हिस्सेदारी दिसंबर 2023 में बढ़कर 60.3 पर्सेंट हो गई है। यह आंकड़ा मार्च 2023 में 57.2 पर्सेंट था।
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आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-दिसंबर, 2023 के दौरान कुल जमाओं में जो वृद्धि हुई, उसमें एफडी की हिस्सेदारी लगभग 97.6 पर्सेंट थी।
इस दौरान चालू खाता और बचत खाता जमा की हिस्सेदारी में गिरावट हुई। केंद्रीय बैंक का कहना है कि सावधि जमाओं पर बढ़ता प्रतिफल बैंक जमाओं में संरचनात्मक बदलाव ला रहा है।
FD High Interest Rates: अधिक ब्याज वाली श्रेणी में अधिक पैसा लगाया
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आरबीआई के अनुसार, अधिक ब्याज दर वाली श्रेणी में धनराशि जमा की जा रही है। कुल सावधि जमाओं में सात पर्सेंट से अधिक ब्याज दर वाली एफडी की हिस्सेदारी दिसंबर 2023 में बढ़कर 61.4 पर्सेंट हो गई। यह आंकड़ा इससे एक तिमाही पहले 54.7 पर्सेंट और मार्च 2023 में 33.7 पर्सेंट था।
भारतीयों का पसंदीदा निवेश है एफडी
देश में एफडी की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 2 करोड़ 42 लाख कुल एफडी में करीब 103 ट्रिलियन (करीब 103 लाख करोड़ रुपये) की रकम जमा है।
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यानी देश में प्रति एफडी औसतन 4.25 लाख रुपये का निवेश किया गया है। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। सर्वे में यह भी कहा गया है कि एफडी लोगों के लिए सबसे पसंदीदा निवेश का विकल्प है।
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FD High Interest Rates: एफडी की ब्याज दरें उच्च स्तर पर
इस समय एफडी की ब्याज दरें उच्च स्तर पर बनी हुई हैं। बीते कई दिनों में बैंकों ने अलग-अलग समय अवधि वाली एफडी पर ब्याज दरें बढ़ा दी हैं
और वे सात फीसदी या इससे अधिक का भी ब्याज दे रहे हैं। निवेश विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा वक्त में उपभोक्ताओं के लिए एफडी में निवेश का यह सबसे अच्छा मौका है।
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इसलिए बढ़ी हुई हैं ब्याज दरें
दरअसल, रिजर्व बैंक ने पांचवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट अभी 6.5 फीसदी के स्तर पर हैं। जब भी इसमें कोई बदलाव होता है तो उसका सीधा असर एफडी पर मिलने वाली ब्याज दरों पर पड़ता है।
जब रेपो दर में कटौती होती है तो एफडी पर मिलने वाला ब्याज भी कम हो जाता है। बढ़ोतरी होने पर बैंक अपने पास नकदी को आकर्षित करने के लिए ब्याज बढ़ा देते हैं।