Health Tips: बच्चे का जन्म और गर्भपात का दुख दोनों ही शरीर और मन दोनों पर गहरा आघात करते हैं। अजन्मे बच्चे को खो देने की दुनिया भर में लाखों कहानियां हैं, पर बहुत कम लोग ही इस मुद्दे के इर्द-गिर्द बाचीत शुरू कर पाते हैं। जब गर्भधारण के 20वें सप्ताह से पहले अचानक भ्रूण का विकास रुक जाता है, तो उसे गर्भपात कहते हैं। गर्भपात एक सामान्य घटना है, लेकिन इससे निपटना आसान नहीं होता। इस विषय में विस्तृत जानकारी के जरिये आप गर्भपात के बाद के प्रभावों से निपटने की अपनी क्षमता को बेहतर बना सकती हैं। गर्भावस्था की पहली तिमाही में अधिकांश गर्भपात होते हैं और अमूमन गर्भवती महिला को पता भी नहीं चलता कि उसका गर्भपात हो रहा है।
Health Tips: कौन हैं ज्यादा जद में?
35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में गर्भपात का खतरा15% है। 35 से 45 वर्ष के बीच की 20-35% महिलाएं गर्भपात से जूझती हैं। 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में गर्भपात की आशंका 50% तक हो सकती है।
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क्या हैं आम कारण
- भ्रूण में क्रोमोजोम की असामान्य संख्या
- मां में डायबिटीज और थायरॉइड जैसी चिकित्सकिय स्थितियां
- हार्मोन संबंधी समस्याएं
- प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रियाएं
- गर्भाशय की असामान्यताएं
- धूम्रपान
- शराब पीना
- नशीली दवाओं का सेवन
Health Tips: गर्भपात के लक्षण
- योनि से रक्तस्राव, जिसमें स्पॉटिंग भी शामिल है। यह दर्द के साथ या दर्द के बिना भी हो सकता है.
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द या ऐंठन.
- योनि से तरल पदार्थ या ऊतक का बाहर आना.
- दिल की धड़कन का तेज होना.
- पीठ के निचले हिस्से में हल्का से मध्यम दर्द.
- गर्भावस्था के लक्षणों में कमी.
- कमजोरी
- वजन घटना
- सफेद-गुलाबी बलगम
- रक्त के थक्कों जैसे ऊतक (टिशू) का योनि से बाहर आना
यदि आप इन लक्षणों का अनुभव करती हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। यदि आपने योनि से ऊतक (टिशू) पास किया है, तो उसे एक साफ बैग में रखकर डॉक्टर के क्लीनिक ले जाएं। लैब में गर्भपात के संकेतों की जांच के लिए ऊतक का अध्ययन किया जा सकता है। इन शारीरिक दुष्प्रभावों के अलावा, आप नुकसान, अपराधबोध, निराशा और फिर से गर्भवती होने की चिंता जैसे भावनाओं का अनुभव कर सकती हैं। अपनी ये भावनाएं अपने नजदीकी लोगों के साथ साझा करें ताकि मन को मलहम मिल सके।
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गर्भपात के प्रकार
गर्भपात आमतौर पर एक प्रक्रिया होती है, न कि एक ही बार में होने वाली घटना। गर्भपात को कई प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है, प्रत्येक के अपने लक्षण होते हैं:
अनिवार्य या अधूरा गर्भपात के लक्षणों में पेट या पीठ में असहजता, रक्तस्राव और गर्भाशय ग्रीवा का खुला होना शामिल है। गर्भाशय ग्रीवा के फैलने या पतला होने या झिल्ली के टूटने पर गर्भपात को टालना मुश्किल हो जाता है। यदि गर्भपात पूरी तरह से समाप्त नहीं होता, तो रक्तस्राव और ऐंठन जारी रह सकते हैं।
पूर्ण गर्भपात (Pregnancy Tips) तब होता है, जब भ्रूण गर्भाशय से बाहर निकल जाता है। ऐसी स्थिति में रक्तस्राव तुरंत रुक जाना चाहिए और दर्द या ऐंठन भी समाप्त हो जाना चाहिए। एक पूर्ण गर्भपात की पुष्टि अल्ट्रासाउंड या सर्जिकल क्यूरेटेज (डीएंडसी) द्वारा की जा सकती है।
बिना कुछ अहसास किए भी गर्भपात हो सकता है। इस स्थिति को मिस्ड गर्भपात कहते हैं। यह तब होता है जब भ्रूण समाप्त हो जाता है, लेकिन शरीर में बाहर नहीं निकलता। यह स्पष्ट नहीं है कि ऐसा क्यों होता है। इसे गर्भावस्था के लक्षणों के समाप्त होने और अल्ट्रासाउंड पर भ्रूण की हृदय धड़कन की अनुपस्थिति द्वारा चिन्हित किया जाएगा।
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लगातार तीन या उससे ज्यादा बार पहली तिमाही में होने वाले गर्भपात को पुनरावर्ती गर्भपात कहते हैं। एक प्रतिशत जोड़ों को यह प्रभावित करता है।
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Health Tips: कैसे करें रोकथाम
गर्भपात आमतौर पर टाले नहीं जा सकते। यदि आपको गर्भपात होता है, तो इस बात को स्वीकार करना सबसे जरूरी है कि यह आपकी गलती नहीं है। अपने शरीर का ध्यान रखना सबसे महत्वपूर्ण चीज है, जो आप इस स्थिति में कर सकती हैं। अधिकांश गर्भपात आनुवंशिक दोषों के कारण होते हैं, इसलिए उन्हें रोकने के लिए बहुत कुछ नहीं किया जा सकता। एक महत्वपूर्ण कदम गर्भधारण करने से पहले जितना संभव हो उतना खुद को सेहतमंद रखना हो सकता है ताकि गर्भाधारण के लिए एक स्वस्थ वातावरण प्रदान किया जा सके।
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नियमित व्यायाम करें, सही खाएं, तनाव को नियंत्रित करें, स्वस्थ वजन बनाए रखें, प्रतिदिन फॉलिक एसिड लें और धूम्रपान से बचें। एक बार जब आपको पता चल जाए कि आप गर्भवती हैं, तो लक्ष्य यह होना चाहिए कि आप अपने बच्चे के विकास के लिए एक अच्छा वातावरण प्रदान करें। जितना हो सके उतना स्वस्थ रहें। अपने पेट की सुरक्षा करें, तंबाकू और शराब से बचें, कोई भी ओवर-द-काउंटर दवाएं लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें, कैफीन को सीमित या बंद करें,
रेडिएशन, संक्रामक बीमारियों और एक्स-रे जैसे पर्यावरणीय जोखिमों से बचें। ऐसे खेल या
गतिविधियों से बचें, जो चोट का कारण बन सकते हैं।
(लेखिका एशियन अस्पताल, फरीदाबाद में प्रसूती-स्त्री रोग विभाग में सीनियर कंसल्टेंट हैं)
NEWS SOURCE Credit : livehindustan