Home Minister Amit Shah: हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) तीसरी बार सत्ता तक पहुंचना चाहती है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव को 3 महीने का समय बचा है। ऐसे में भाजपा जल्द ही चुनावी शंखनाद फूंकने वाली है। अबकी बार हरियाणा में चुनाव जीतने की रणनीति गृहमंत्री अमित शाह ने अपने हाथों में ले ली है। वह 29 जून को हरियाणा के कुरूक्षेत्र आ रहे हैं।
कुरूक्षेत्र में वह भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक लेंगे। इस बैठक में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री एवं केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर सहित प्रदेश भाजपा की कोर टीम के सदस्य ओपी धनखड़, सुधा यादव, कैप्टन अभिमन्यु, सुभाष बराला और रामबिलास शर्मा मौजूद रहेंगे।
इसके साथ-साथ हरियाणा के सभी मंत्री, विधायक और सांसद बैठक में भाग लेंगे। इतना ही नहीं करीब 2500 से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ता इस बैठक में हिस्सा लेंगे।
फोन पर बताएगा बिल; चंडीगढ़ नगर निगम ने किया तैयार सॉफ्टवेयर
तीसरी बाद सत्ता तक पहुंचना चाहती है हरियाणा में भाजपा
हरियाणा में 2014 से ही भाजपा की सरकार है। केंद्र में 2014 को नरेंद्र मोदी के सामान्तर ही हरियाणा में खट्टर सरकार बनी थी। 2019 में भी हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया और भाजपा जजपा के सहयोग से सत्ता तक पहुंची।
मगर अबकी बार खट्टर सांसद का चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री बन गए हैं और उनकी जगह नायब सिंह सैनी मुख्यमंत्री बन गए। ऐसे में यह चुनाव भाजपा के लिए आसान नहीं है। खट्टर के जाने के बाद भाजपा के पास प्रदेश में कोई बड़ा चेहरा नहीं है। इसलिए चुनाव के रण में उतरने से पहले अमित शाह कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देंगे।
दक्षिणी हरियाणा में भाजपा से टिकट के लिए राव इंद्रजीत के विरोधी एक्टिव
Home Minister Amit Shah: भाजपा की आसान नहीं राह
2019 में जहां भाजपा ने लोकसभा में हरियाणा की 10 में से 10 सीटें जीती थीं वहीं बार इस बार लोकसभा में भाजपा 5 सीटें कांग्रेस से हार गई। कांग्रेस लोकसभा चुनावों में मजबूत बनकर उभरी है और हरियाणा की 90 विधानसभा में से कांग्रेस ने गठबंधन में रहते हुए 46 विधानसभा सीटों पर बढ़त बनाकर उभरी वहीं भाजपा 42 विधानसभा सीटों पर आगे रही। ऐसे में भाजपा के सामने इस बार मुकाबला टफ है।
भाजपा के सामने कड़ी चुनौती
- सत्ता विरोधी लहर : भाजपा हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। हरियाणा में 10 साल से भाजपा की सरकार है। हरियाणा की जनता प्रदेश में बदलाव की ओर देख रही है। हालांकि भाजपा ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदला मगर इसका फायदा लोकसभा चुनाव में नहीं मिला। लोकसभा चुनाव में भाजपा को जरूर मोदी के नाम के वोट मिले मगर अबकी बार विधानसभा चुनाव की राह कठिन है।
- जाट और एससी समाज की नाराजगी : भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती जाट और एससी समाज को साधने की है। लोकसभा चुनाव में दोनों समाज ने भाजपा के खिलाफ होकर एकजुट होकर वोट किया। इसका परिणाम था कि जिन विधानसभा में जाट समाज या एससी समाज का प्रभाव है उन विधानसभा में भाजपा की हार हुई है। भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोनों वर्गों को साधने की है।
- किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना : भाजपा के सामने केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर लोगों में नाराजगी है। केंद्र सरकार की ओर से बनाए तीन कृषि कानून को लेकर काफी लंबा आंदोलन हुआ। इसमें हरियाणा के किसानों ने अग्रणी भूमिका निभाई। हरियाणा सरकार ने किसानों के साथ कई मोर्चों पर जबरदस्ती की और साथ नहीं दिया। इस कारण किसान हरियाणा सरकार से नाराज हो गए। वहीं केंद्र की अग्निवीर योजना से हरियाणा के युवा खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले युवा नाराज हैं। हरियाणा में बड़े स्तर पर युवा आर्मी भर्ती की तैयारी करते हैं।
करनाल में कार्यकर्ता सम्मेलन से हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी AAP
Home Minister Amit Shah: लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन
हरियाणा में इस लोकसभा चुनाव में भाजपा को 46.06 वोट प्रतिशत मिले हैं। जबकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा का 58 प्रतिशत वोट शेयर था। 5 सालों में पार्टी का प्रदेश में 11.06 वोट प्रतिशत घटा है।
वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर देखें तो इस चुनाव में 43.73% वोट शेयर लेकर भाजपा को कड़ी टक्कर दी है।
2019 में कांग्रेस को सिर्फ 28.42% वोट शेयर मिला था। 5 साल में कांग्रेस के वोट शेयर में 15.31% वोट
शेयर की बढ़ोतरी हुई है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने दी ओबीसी समाज को बड़ी सौगात
रिजर्व सीटों पर BJP का बुरा हाल
हरियाणा में कुल 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित हैं। इनमें से मात्र 4 सीटों पर ही
BJP को जीत मिली है। वहीं, कांग्रेस को 11, आम आदमी पार्टी (AAP) के लिए भी बेहतर नतीजे आए हैं।
AAP ने 2 सीटों पर लीड ली है।
ये दोनों आरक्षित सीटें कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट में आती हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 सीटों में से
कांग्रेस ने मुलाना, सढौरा, खरखौदा, कलानौर, झज्जर, बवानीखेड़ा, उकलाना, कालांवाली, रतिया, नरवाना
और होडल सीटें जीती हैं। AAP ने शाहाबाद और गुहला चीका, जबकि BJP ने नीलोखेड़ी, इसराना, पटौदी
और बावल सीटें जीती हैं।
मुख्यमंत्री शहरीय आवास योजना के तहत जिला में 4 हजार 80 गरीब लोगों को दिए जायेंगे आवासीय प्लाट
Home Minister Amit Shah: मंत्रियों के गढ़ में पिछड़ी पार्टी
भाजपा विधायकों के अंबाला शहर से असीम गोयल (परिवहन मंत्री), जगाधरी से कंवरपाल गुर्जर (कृषि मंत्री),
पिहोवा से संदीप सिंह (पूर्व खेल मंत्री), कलायत से कमलेश ढांडा (पूर्व मंत्री), आदमपुर से भव्य बिश्नोई, नलवा
से रणबीर सिंह गंगवा, बवानीखेड़ा से बिशंबर वाल्मीकि (राज्य मंत्री), फतेहाबाद से दूडाराम, रतिया से लक्ष्मण
नापा, लोहारू से जेपी दलाल (कृषि मंत्री), कोसली से लक्ष्मण यादव, हथीन से प्रवीण डागर, होडल से जगदीश
नागर के विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवार की हार हुई।
माइक्रो मैनेजमेंट पर करेगी फोकस
विधानसभा चुनाव में हरियाणा भाजपा ‘माइक्रो मैनेजमेंट’ के फॉर्मूले पर चलेगी और बूथ स्तर तक के
कार्यकर्ता के घर तक पहुंचेगी। यानी इस बार भाजपा हरियाणा जीतने के लिए कोई कसर नहीं
छोड़ना चाहती।