INLD-BSP: हरियाणा की जुलाना विधानसभा सीट इन दिनों खूब चर्चा में है। इसकी पहली वजह पूर्व पहलवान विनेश फोगाट हैं। हालांकि, उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे इनेलो-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार सुरेंद्र लाठर भी सुर्खियों में हैं। सुर्खियों में होने की वजह उनका वायरल शपथ पत्र है।
पत्र में सुरेंद्र लाठर क्षेत्र के विकास की शपथ ले रहे हैं। उन्होंने 100 रुपए के स्टांप पेपर पर 4 वादे किए हैं। इन वादों का जुलाना की जनता से सीधा संबंध है। हलफनामे में उन्होंने यह भी वचन दिया है कि अगर वे इन वादों को पूरा नहीं कर पाए तो अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।
सुरेंद्र लाठर ने कहा कि अगर वे विधायक बने तो…
- सबसे पहले 25 हजार युवाओं को नौकरी दिलाने का काम करूंगा।
- जुलाना हलके के हर गांव में पीने के पानी की बड़ी समस्या है, विधायक बनते ही वे प्राथमिकता के आधार पर पीने के पानी की इस समस्या का समाधान करेंगे।
- जुलाना में भव्य किसान-मजदूर भवन का निर्माण कराया जाएगा।
- हरियाणा के बजट में जुलाना का हिस्सा 11 हजार करोड़ रुपये, वहां की जनता से पूछकर और जहां वे कहेंगे, वहां हर बूथ पर 55 करोड़ रुपये खर्च करूंगा।
INLD-BSP: काम पूरे नहीं हुए तो दे दूंगा इस्तीफा
शपथपत्र में सुरेंद्र लाठर ने यह भी कहा है कि अगर वह इन चारों वादों को पूरा नहीं कर पाए तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब तक किसी भी प्रत्याशी ने ऐसा शपथपत्र नहीं दिया है। प्रचार के दौरान भी लाठर लोगों को अपने शपथपत्र की कॉपी देकर वोट मांग रहे हैं।
- Advertisement -
इस सीट पर हमेशा से इनेलो का दबदबा रहा है। यहां सबसे ज्यादा जाट मतदाता हैं। लाठर लंबे समय से
यहां समाजसेवा से जुड़े हैं। 11 साल पहले कमिश्नर के पद से वीआरएस लेने के बाद वह राजनीति में
आए थे। उनके परिवार का यहां अच्छा प्रभाव है। सामाजिक सरोकार भी अच्छा बताया जाता है।
अहीरवाल बेल्ट में पड़ने वाले तीनों सीटों पर भाजपा में बगावत
INLD-BSP: समझिए जुलाना का समीकरण
जुलाना सीट इनेलो का गढ़ रही है। 2009 और 2014 में इनेलो के परमेंद्र सिंह ढुल ने यहां जीत दर्ज
- Advertisement -
की थी। इनेलो-बसपा प्रत्याशी डॉ. सुरेंद्र लाठर का 12 गांवों में अच्छा प्रभाव है। इन गांवों में लाठर
गोत्र के मतदाता हैं।
कांग्रेस यहां 15 साल से सूखे का सामना कर रही है। 2000 और 2005 में कांग्रेस के शेर सिंह ने
- Advertisement -
जीत दर्ज की थी। इसके बाद लगातार तीन चुनावों में यह सीट इनेलो और जेजेपी के पास रही। इस
विधानसभा चुनाव में स्थानीय कांग्रेस नेता परमेंद्र ढुल, धर्मेंद्र ढुल और रोहित दलाल टिकट के
दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस ने विनेश पर दांव लगाया। यहां विनेश पर भितरघात का
खतरा मंडरा रहा है।
भाजपा इस सीट पर कभी अपना खाता नहीं खोल पाई है। यहां लोगों की पहली पसंद जाट
प्रत्याशी रहे हैं। यहां ओबीसी समुदाय के 29 हजार और ब्राह्मण समुदाय के 21 हजार
मतदाता हैं। ये भी भाजपा के पक्ष में रहे हैं।
2019 में चौटाला परिवार में फूट के बाद वोटरों ने इनेलो को छोड़कर जेजेपी की तरफ
रुख किया। जेजेपी के बीजेपी से गठबंधन और किसान आंदोलन की वजह से लोग
जेजेपी से नाराज हैं।