Lok Sabha Speaker: लोकसभा के अंक गणित और सत्ता-विपक्ष के बीच जारी खींचतान को देखते हुए स्पीकर का पद इस बार अहम हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली NDA सरकार दो बड़े घटक दल TDP और जदयू भी इस होड़ में शामिल दिख रहे हैं।
TDP नेता एन चंद्रबाबू नायडू और जदयू नेता नीतीश कुमार को लगता है कि अगर उनकी पार्टी में तोड़फोड़ की कोशिश होगी तो स्पीकर पद उस समय जीवन बीमा होगा। I.N.D.I.A ब्लॉक ने भी कहा है कि स्पीकर पद TDP के पास जाता है, तो वे समर्थन देने तैयार है।
पुरंदेश्वरी चंद्रबाबू नायडू की पत्नी नारा भुवनेश्वरी की बहन
हालांकि, मोदी के दूसरे कार्यकाल में स्पीकर रहे कोटा सांसद ओम बिड़ला फिर दावेदारी में आगे हैं। उनके कैबिनेट मंत्री न बनने से अटकलें और जोर पकड़ चुकी हैं। इसी बीच भाजपा की आंध्र प्रदेश अध्यक्ष डी. पुरंदेश्वरी का नाम भी उछला है।
पुरंदेश्वरी चंद्रबाबू नायडू की पत्नी नारा भुवनेश्वरी की बहन हैं। उन्होंने नायडू का उस वक्त समर्थन किया था, जब उनकी अपने ससुर एनटी रामाराव का तख्ता पलट करने पर आलोचना हो रही थी। ऐसे में उन्हें स्पीकर बनाया जाता है, तो नायडू पर सॉफ्ट प्रेशर रहेगा। उनकी पार्टी पुरंदेश्वरी का विरोध नहीं कर पाएंगी।
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Lok Sabha Speaker: कम्मा समुदाय का वोट बैंक भी वजह
पुरंदेश्वरी कम्मा समुदाय से हैं। चंद्रबाबू नायडू भी इसी समुदाय के हैं। आंध्र प्रदेश की राजनीति में यह प्रभावशाली समुदाय है। कम्मा समुदाय को TDP का ट्रेडिशनल वोटर माना जाता है। साफ है कि डी पुरंदेश्वरी के बहाने भाजपा नायडू की पार्टी के परंपरागत वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती है।
बिड़ला स्पीकर बने तो रिकॉर्ड की बराबरी करेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में पिछले कार्यकाल में लोकसभा अध्यक्ष रहे ओम बिरला को जगह नहीं दी गई है। माना जा रहा था कि स्पीकर का कार्यकाल पूरा करने के बाद बिरला को कैबिनेट में जगह मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं होने से अब उनके भविष्य को लेकर कई तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक बिरला के लिए बड़ी भूमिका वाले रास्ते अभी भी खुले हुए हैं।
मोदी मंत्रिमंडल के गठन के बाद अब यह संभावना बनी है कि ओम बिरला एक बार फिर लोकसभा
अध्यक्ष बनेंगे। बिरला मोदी और शाह के नजदीकी माने जाते हैं और स्पीकर के संवैधानिक पद पर
रहते हुए उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए, जो अपने आप में रिकॉर्ड हैं।
अपनी कार्यशैली के कारण भाजपा सहित विरोधी दलों में भी उनकी अच्छी पैठ है। भाजपा इस
बार पूर्ण बहुमत में नहीं है, इसलिए मोदी-शाह भी अपने विश्वासपात्र को ही लोकसभा अध्यक्ष बनाना
चाहेंगे। इस चॉइस में भी बिरला खरे उतरते हैं। हालांकि, भाजपा का पूर्ण बहुमत में न आना ही उनके
अध्यक्ष बनने में रोड़ा भी साबित हो सकता है, क्योंकि सहयोगी दल स्पीकर पद की मांग कर रहे हैं।
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Lok Sabha Speaker: एक नया रिकॉर्ड बना सकते हैं बिरला
बिरला यदि दूसरी बार फिर लोकसभा अध्यक्ष बनाए जाते हैं और वे इस पद पर अपना दूसरा
कार्यकाल भी पूरा कर लेते हैं, तो उनके नाम एक रिकॉर्ड और दर्ज हो सकता है। साढ़े तीन दशक
पहले लगातार दो बार चुने जाने और कार्यकाल पूरा करने वाले बलराम जाखड़ एक मात्र लोकसभा
अध्यक्ष रहे हैं। जीएम बालयोगी, पीए संगमा जैसे नेता दो बार लोकसभा अध्यक्ष तो बने, लेकिन पूरे
5-5 साल के कार्यकाल पूरे नहीं किए। बलराम जाखड़ ने साल 1980 से 1985 और 1985 से 1989
तक अपने दोनों कार्यकाल पूरे किए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केबिनेट मंत्री मनोहर लाल निर्णायक भूमिका अदा करेंगे
ओम बिरला का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए दौड़ में भी
गठबंधन की मजबूरियों के कारण यदि लोकसभा अध्यक्ष का पद सहयोगी दलों के पास जाता है
तो इस स्थिति में ओम बिरला का नाम राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भी दौड़ में है। इस पद के लिए राजस्थान
से ही भूपेंद्र यादव का नाम भी चला था, लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दे दी गई है। अब माना जा
रहा है कि यदि बिरला लोकसभा अध्यक्ष नहीं बन सके, तो मोदी-शाह के नजदीकी होने के कारण
उन्हें BJP का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद दिया जा सकता है।
BJP सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के संभावित नामों में बिरला का भी नाम है, लेकिन इस
मामले में एक अड़चन भी है। यह कि महाराष्ट्र, बिहार, हरियाणा, दिल्ली जैसे राज्यों में विधानसभा
चुनाव होने हैं। BJP चुनावी फायदा लेने के लिए इन राज्यों में से किसी एक राज्य के नेता का नाम
अध्यक्ष पद के लिए चुन सकती है।