MP High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP high court) ने एक मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी किया कि पत्नी द्वारा पति के साथ यौन संबंध (love affair) बनाने से इनकार करना क्रूरता है और इस आधार पर पति द्वारा तालाक की मांग करना वैध है.
जस्टिस शील नागू और जस्टिस विनय सराफ की पीठ ने एक ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले और डिक्री को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की थी, जिसके तहत तलाक की डिक्री देने के लिए अपीलकर्ता यानी कि पति द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी गई थी.
MP High Court: पति ने कोर्ट को बताया कि
दरअसल, शादी के बाद पत्नी (प्रतिवादी) ने पति (अपीलकर्ता) के साथ शारीरिक संबंध बनाने से मना कर दिया था, जिसके चलते पति संबंध नहीं बना सका.
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पति ने कोर्ट को बताया कि उसकी पत्नी ने ई-मेल के जरिए धमकी दी थी कि वह आत्महत्या कर लेगी और उसके साथ-साथ माता-पिता के खिलाफ आईपीसी की कई धाराओं के तहत झूठा मुकदमा भी दर्ज करा दिया. ट्रायल कोर्ट ने पत्नी की याचिका का समन जारी किया, लेकिन वह कोर्ट में अनुपस्थित रही.
इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने प्रतिवादी के खिलाफ एकपक्षीय कार्यवाही की और आक्षेपिक निर्णय पारित कर दिया, जिसके तहत अपीलकर्ता द्वारा दायर आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि अपीलकर्ता तलाक की डिक्री देने के लिए अधिनियम, 1955 में उपलब्ध किसी भी आधार को साबित करने में विफल रहा.
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अपीलकर्ता तलाक की डिक्री देने के लिए
पीठ (high court decision) ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा, ‘शादी न करना और शारीरिक अंतरंगता से इनकार करना मानसिक क्रूरता के बराबर है.’
हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी द्वारा शारीरिक अंतरंगता से इनकार करने पर पति द्वारा लगाया गया मानसिक क्रूरता का आरोप साबित हो गया है और ट्रायल कोर्ट को फैसला सुनाते वक्त विचार करना चाहिए था.
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हाईकोर्ट की पीठ ने यह टिप्पणी सुखेंदु दास बनाम रीता मुखर्जी के मामले पर गौर किया. अदालत ने कहा (high court decision) कि अपीलकर्ता द्वारा तलाक के लिए दायर मामले में प्रतिवादी की गैर उपस्थिति क्रूरता के समान है.