Relationship Of Rose: गुलाब को प्यार का प्रतीक माना जाता है। मोहब्बत का फूल कहा जाता है। क़िताब में रखा सूखा गुलाब किसी पुरानी मोहब्बत की याद ताज़ा कर देता है तो ताज़े गुलाब के फूल जीती-जागती मोहब्बत की खुशबू फिज़ा में बिखेर देते हैं।
लेकिन क्या वजह है कि इतने फूलों के बीच गुलाब के फूल को ही सच्ची मोहब्बत से जोड़ा गया? क्यों प्यार जताने के लिए गुलाब के फूल ही दिए जाते हैं? ये कोई नया शगल नहीं है, सदियों पुराना है
गुलाब और मोहब्बत का रिश्ता
1230 में जीन रेनार्ट ने एक फ्रेंच कविता लिखी थी ‘ले रोमन डी ला रोज़’। प्रेम पर लिखी ये कविता लोगों का मनोरंजन करने और उन्हें इश्क करने की कला सिखाने के बारे में थी। कविता में रोज़ यानी गुलाब शब्द का इस्तेमाल टाइटल में दिए गए नाम और फीमेल सेक्शुएलिटी के सिंबल के तौर पर किया गया था। कविता के मुताबिक, एक शख्स लाल गुलाब की तलाश में निकलता है और उसे खोजने के दौरान उसे अपनी प्रेमिका मिल जाती है। रेनार्ट ने लगभग 4 हजार लाइनों की यह कविता अपनी प्रेमिका का मन मोहने के लिए लिखी थी।
यानी 13वीं सदी में भी प्रेम के इज़हार के लिए लाल गुलाब को ही प्रतीक के रूप में पेश किया गया। इसके बाद तो कवियों और शायरों ने गुलाब को मोहब्बत से जोड़ते हुए न जाने कितनी ही कविताएं रच डालीं, कितने ही शेर कह दिए। 1794 में स्कॉटिश कवि रॉबर्ट बर्न्स ने लिखा था, ‘मेरा प्यार लाल गुलाब की तरह है
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कहते हैं गुलाब का फूल बेहद प्राचीन है। कॉलरेडो में मिला साढ़े पांच करोड़ साल पुराना गुलाब का फॉसिल यानी अवशेष बताता है कि हमारे शुरुआती पूर्वजों के पृथ्वी पर आबाद होने से पहले ही गुलाब धरती पर खिल रहे थे। यूनान की पौराणिक कथाओं की मानें तो गुलाब का संबंध प्यार की देवी एफ्रोडाइटी से है। कहा जाता है कि पानी के बुलबुलों पर सवार हो कर समुद्र से निकली थीं। उनके निकलने के बाद पानी के वे बुलबुले सफेद गुलाब में बदल गए।
एफ्रोडाइटी का बेटे क्यूपिड ने शांति के देवता हरपोक्रेट्स को एक गुलाब का फूल उपहार में देते हुए विनती की थी कि वह एफ्रोडाइटी के प्रेम संबंधों के बारे में किसी से कुछ न कहें। उसी के बाद से लैटिन में एक कहावत चल निकली ‘अंडर द रोज़’ यानी किसी बात को गोपनीय रखना।
जहां तक बात लाल रंग के गुलाब की है तो यूनानी प्राचीन कथााओं में कहा जाता है कि लाल गुलाब का जन्म प्रेम की वजह से पैदा हुई एक दुखद घटना की वजह से हुआ था। अपने घायल प्रेमी एडोनिस को जंगली भालू के हमले से बचाने के लिए एफ्रोडाइटी जब उसकी ओर दौड़ी तो गुलाब की कंटीली झाड़ियों में फंस गई। शरीर में कांटे चुभने से एफ्रोडाइटी के खून की बूंदें गुलाब के फूल पर गिरीं तो वह सुर्ख लाल हो गए।
एक रोमन पौराणिक कथा भी गुलाब को मोहब्बत से जोड़ती है। कहते हैं कि एक बार प्रेम की देवी वीनस ने अमृत पीने की इच्छा व्यक्त की। क्यूपिड बेहद संघर्ष के बाद उनके लिए अमृत ले आया, लेकिन इस दौरान उसकी कुछ बूंदें धरती पर छलक गईं। धरती पर उस वक्त बर्फ पिघल रही थी। अमृत की बूंदें जब वहां गिरीं तो गुलाब का फूल बन गईं। यही गुलाब क्यूपिड का हथियार बना। यूनानी और रोमन सभ्यता में क्यूपिड को वही दर्जा हासिल है
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प्राचीन रोम में गुलाब सिर्फ प्रेम ही नहीं मृत्यु का प्रतीक भी माना जाता था। सेलिब्रेशन हो या किसी का जनाज़ा, दोनों मौकों पर गुलाब के फूल बेहद ज़रूरी होते थे। गुलाब को माला के धागों में पिरोया जाता था या उसकी पंखुड़ियों को मसल कर इत्र बनाया जाता था। कहते हैं कि रोम के सेनाध्यक्ष मार्क एंटनी ने जब क्लियोपेट्रा को पहली बार देखा तो उस तक पहुंचने के लिए उन्हें ज़मीन पर बिछे गुलाबों पर ही चलकर जाना था। और क्लियोपेट्रा की ओर देखते हुए जब एंटनी ने गुलाब के फूलों पर चलना शुरू किया तो गुलाब की खुशबू और क्लियोपेट्रा की खूबसूरती का कुछ ऐसा कॉकटेल बना कि एंटनी के दिलो-दिमाग में प्यार का खुमार चढ़ गया।
लाल गुलाब को सूली पर चढ़ाने या सेंट वैलेंटाइन जैसे ईसाई शहीदों का प्रतीक माना जाता है। जिन्हें तीसरी सदी में रोम के लोगों ने सूली पर चढ़ा दिया था। यानी लाल गुलाब का नाता मोहब्बत और दर्द से जुड़ा है। आज से नहीं सदियों से। दर्द से इसलिए क्योंकि जहां मोहब्बत है, वहां दर्द होना लाज़िमी है।
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