Anju Prajapati Rampur: सनातन परंपरा में दूर्वा का बहुत महत्व है. दूर्वा एक हरी घास है. इस पवित्र घास को अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग नाम से जाना जाता है.
दूर्वा को दूब, गुजराती में धोलाध्रो, अंग्रेजी में कोचग्रास, अनंता आदि नामों से जाना जाता है. मंगलकारी दूर्वा को पूजा के लिए सामग्री के रूप में चढ़ाया जाता है.
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सनातन धर्म में ऐसा कोई भी मंगल कार्य नहीं है
पंडित दिनेश शर्मा बताते हैं कि सनातन धर्म में ऐसा कोई भी मंगल कार्य नहीं है. जिसमें दूर्वा का प्रयोग न किया जाता हो. मंगलकारी दूर्वा का भगवान गणेश की साधना आराधना के दौरान विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है,
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क्योंकि दूर्वा घास भगवान गणेश को अधिक प्रिय होती है. इसके अलावा विवाह के समय इस पवित्र दूर्वा के माध्यम से तेल की रस्म पूरी की जाती है. गणपति की पूजा तो बगैर दूर्वा के अधूरी ही मानी जाती है. गणेश जी की पूजा करने के लिए फूलों के साथ साथ दूर्वा घास बेहद जरूरी है. प्राचीन काल से ही दूर्वा घास का अधिक महत्व है.
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Anju Prajapati Rampur: दूर्वा घास का प्रयोग करने से गणेश जी कृपा होगी
दूर्वा घास जमीन पर पसरती है, जो खड़ी घास होती है. दूर्वा में बीच बीच मे गांठ होती है. इसलिए पूजा में प्रयोग करने वाली दूर्वा की पहचान अच्छे से कर लें. अन्यथा कोई लाभ नहीं होगा.
हमारे ग्रंथो की मान्यता है कि कथा, हवन और विवाह में तेल की रस्म में दूर्वा घास का प्रयोग करने से गणेश जी कृपा प्राप्त होती है. हमारी ज़िंदगी में आने वाले सारे विघ्न दूर हो जाते हैं. इसलिए हर शुभ कार्य में इस चमत्कारी दूर्वा का प्रयोग बेहद लाभकारी माना जाता है.