Children Begging: मैं मनीषा मेरी उम्र 16 साल है। मैं पढ़ाई करके अफसर बनना चाहती थी। पिता पेंटर थे और मां की तबीयत खराब रहती थी। माँ के इलाज के काफी पैसा लग रहा था। इसलिए मेरी पढ़ाई बिच में ही बंद हो गई और इस दौरान एक भिखारी गैंग (Children Begging) के संपर्क में चली गई। उन्होंने मुझसे कहा कि इस काम से तुम्हारी इनकम होगी।
20 से 25 बच्चों को इनकी गैंग का एक लीडर ट्रेनिंग देता था। वह उम्र के हिसाब से डायलॉग याद कराता था। जैसे महिलाओं को बच्चे और परिवार के आधार पर दुआ देनी है। युवाओं को नौकरी की। 7-8 महीने भीख मंगवाने के बाद इन लोगों ने जबरदस्ती मुझे दिल्ली भेज दिया। वहां बंधक बना लिया।
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दिल्ली में यह गैंग मुझे बेचने का प्लान कर रहा था। एक दिन मौका पाकर वहां से भाग निकली। पुलिस के पास गई। पुलिस ने आगरा की महफूज संस्था से संपर्क करके मुझे परिवार के पास पहुंचाया। भगवाना की शुक्रगुजार हूं कि मैं बच गई।
भगवान टाकीज चौराहा
भास्कर रिपोर्टर जब यहां पहुंची, तो 20 से ज्यादा बच्चे भीख मांग रहे थे। कोई खाने का बहाना बता रहा है, तो कोई मां बीमार है बता रहा था। उसी जगह पर एक युवक खड़ा था। वह इनका सुपरवाइजर था। वह एक-एक बच्चे पर नजर रखे था। वही युवक रोस्टर के हिसाब से इन बच्चों की जगह और चौराहे अलॉट करता है।
भीख मांग रहे एक बच्चे से बात करने की कोशिश की गई, तो वह वहां से भाग गया। यही नहीं, वह युवक भी एक्टिव हो गया। थोड़ी देर में बच्चे वहां से हट गए। दरअसल, मनीषा ने बताया था कि जब भीख मांगने की ट्रेनिंग दी जाती है, तो ये भी बताया जाता है कि कोई कुछ पूछे या फोटो खींचे तो वहां से हट जाना।
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Children Begging: आगरा में 6 से 7 गैंग भीख मंगवाने में एक्टिव
आगरा में भीख मांगने वाले बच्चों पर काम करने वाली संस्था महफूज के एक अफसर बताते हैं कि ये तस्वीर सिर्फ एक चौराहे की नहीं है। आगरा में भगवान टॉकीज से लेकर प्रतापपुरा चौराहे तक करीब 100 बच्चे रोजाना भीख मांग रहे हैं। इस पूरे सिस्टम को चलाने के लिए 6 से 7 गैंग हैं। बस्तियों से यह बच्चों को लेकर आते हैं। उनको ट्रेंड करके उनसे भीख मंगाते हैं।
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लड़की को रोका, तो भागकर एक महिला के पास चली गई
भास्कर रिपोर्टर रावली मंदिर के पास पहुंची। यहां एक 6-7 साल की बच्ची हाथ में कबाड़ पकड़े एक तरफ चले जा रही थी। टीम ने उसे रोका तो वो चुप हो गई। उसके मुंह पर सफेद रंग का पाउडर लगा हुआ था। उससे पूछा कहां जा रही हो? कहां रहती हो? तो बड़बड़ाने लगी। फिर पूछा स्कूल जाती हो? तो बोली कि मेरी मम्मी वहां खड़ी हैं, उनके पास जा रही हूं।
थोड़ी ही दूर पर एक महिला सफेद पाउडर लगाए खड़ी थी। सफेद पाउडर क्या है, तो बोली कि दवाई है। बच्ची के फुंसी हो गई है, इसलिए उसे दवा खिलाई है। एनजीओ के कर्मचारी बताते हैं कि पैसा मांगने पर लोग तुरंत दे दें। इसलिए, वह इस तरह का पाउडर चेहरे पर लगा लेती हैं, ताकि बीमार लगे।
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दिन के हिसाब से भगवान की तस्वीर लेकर निकलते हैं
बातचीत और पड़ताल के दौरान यह भी पता चला कि भीख मांगने वाले बच्चों के हाथ में हर दिन के हिसाब से भगवान की फोटो दी जाती है। सोमवार को महादेव, मंगलवार को हनुमान, गुरुवार को साईं बाबा और शनिवार को शनि देव के नाम पर पैसा मांगते हैं। नवरात्रों में यह 9 दिन तक देवी की फोटो लेकर घूमते हैं।
Children Begging: 5 सालों में रेस्क्यू किए गए बच्चों में से 150 का स्कूल में एडमिशन कराया
महिलाओं और बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले महफूज सुरक्षित बचपन संस्था के कोऑर्डिनेटर नरेश पारस ने बताया कि उन्होंने साल 2020 के नवंबर और दिसंबर महीने में शहर के एमजी रोड पर सर्वे किया था। 2021 में भगवान टॉकीज से प्रतापपुरा चौराहे तक 48 और 2022 में 65 बच्चों को भीख मांगते हुए चिह्नित किया था। रिपोर्ट भी प्रशासन को दी थी।
हर दिन ऑटो में भरकर लाता था बच्चों को
रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़ी वॉलंटियर दीक्षा भारद्वाज ने बताया कि एक रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान उन्हें जानकारी मिली कि एक आदमी 10-12 बच्चों को रोज ऑटो में भरकर लाता है। हर दिन अलग-अलग चौराहों पर उतारता है। दिन भर ऑटो चलाता है। रात में बच्चों को ऑटो में भरकर वापस ले जाता है। कई बच्चों ने रेस्क्यू होने के बाद बताया था कि वे आगरा के रहने वाले नहीं हैं, बल्कि दूसरे शहरों में उनके माता-पिता रहते हैं।