Fetal Sex Determination: भारत आज भी एक रूढ़िवादी देश है जहा लोग अंधविश्वास से भरे हुए है जो की ये सोचते है की लड़की से ज्यादा आज भी लड़का जरुरी है हमारा वंश चलने के लिए और इसके ही चलते लोग भूर्ण लिंग जाँच कराते है. हमारे देश में भूर्ण लिंग जाँच करना कानूनन जुर्म है फिर भी लोग ये अपराध करते है. आइए जानते है पूरी जानकारी…
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Fetal Sex Determination: किस समय होती हैं भ्रूण जांच
दस सप्ताह के गर्भ में गर्भपात का खतरा कम हो जाता है, इस चरण में भ्रूण की लंबाई लगभग 30 मि मी (1.2 इंच) होती है। जिसके अल्ट्रासाउंड से दिल की धड़कन एवम् अनैच्छिक गतियों को मेहसूस किया जा सकता है।भ्रूण चरण में स्थापित किए गए संरचना का जल्द ही शरीर प्रणालियों में विकास होता है। भ्रूण का विकास दोनों ओर वजन और लंबाई में वृद्धि जारी रहता है। विद्युत मस्तिष्क गतिविधि पहली हमल के पांचवें और छठे सप्ताह के बीच क्रियात्मक होती है। इसी समय लोग भ्रूण लिंग जांच कराते हैं इसी चाहत में गर्भा का गर्भापात करा देते हैं और पाप के भागेदार बन जाते हैं.
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गर्भाावस्था के दौरान पोषण
गर्भाावस्था के दौरान महिलाओं को आपने अधिक ध्यान रखना चाहिए। गर्भाावस्था के दौरान पोषण महत्वपूर्ण हैं. संतुलित ऊर्जा और प्रोटीन की मात्रा लेने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। कुछ महिलाओं को अपने आहार चिकित्सा की स्थिति,या विशिष्ट धार्मिक नैतिक विश्वासों के आधार पर पेशेवर चिकित्सक की सलाह की जरूरत हो सकती है। मुख्य रूप से पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड एवम हरी पत्तेदार सब्जियां, फलियां, और खट्टे फलो का सेवन अधिक करना चाहिये।
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गर्भाावस्था के दौरान टेस्ट
गर्भाावस्था में कोण कोण से टेस्ट होते है कि माना जाता हैं शुरुआती 3 महा बहुत ही नाजुग होते हैं क्योकि मिसकैरेज का खतरा अधिक रहेता है अगर ये 3 महीने सही निकल जायें, तो गर्व ठहर जाता हैं और गर्भाावस्था खतरा कम रहे ता हैं यही वजह हैं पहले 3 महीने गर्भाावस्था में सवदानी बरतने की जरूत हैं जरा सी लापरवाई बच्चे की जान ख़तरे में डाल सकता है गर्व ठहरने और शिशु के स्वास्थ के लिए कुछ निम्नलिखित में प्रेगनेंसी टेस्ट कराये जाते हैं
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Fetal Sex Determination: आयरन और ब्लड शुगर टेस्ट
हीमोग्लोबिन लेवल (Hb Label) की जांच के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है जिससे पता चलता है कि शरीर में आयरन की कमी है या नहीं। गर्भवस्था के समय शरीर में पर्याप्त मात्रा में आयरन होना जरुरी होता है जिससे शरीर के सभी हिस्से और शिशु को ऑक्सीजन (Oxygen) मिल सकें।
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गर्भावस्था में ब्लड टेस्ट से आयरन की कमी का पता लगाया जा सकता है और डॉक्टर आपकी इस कमी को पूरा करने के लिए आपका मूड बता सकते हैं। इसके अलावा ब्लड टेस्ट की मदद से आपका शुगर लेवल भी चेक किया जाता है। इस परीक्षण से जेसी इंटरनेशनल एक्सचेंज का पता लगाया जा सकता है।
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हेपेटाइटिस बी और एचआईवी
प्रेगनेंसी ब्लड टेस्ट रिपोर्ट से पता चलता है कि हेपेटाइटिस बी और एचआईवी की समस्या है या नहीं। क्योंकि मां को हेपेटाइटिस बी है तो इससे बच्चे को भी होने का खतरा बन सकता है। इसकी वजह से बच्चे के लिवर को नुकसान पहुंच सकता है। इस टेस्ट के माध्यम से डॉक्टर बच्चे को हेपेटाइटिस बी की समस्या से बचाने के लिए प्रेगनेंट महिला को एंटीबॉडीज का इंजेक्शन लगाते हैं।
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गर्भावस्था में ब्लड टेस्ट से आयरन की कमी का पता लगाया जा सकता है और डॉक्टर आपकी इस कमी को पूरा करने के लिए आपका मूड बता सकते हैं। इसके अलावा ब्लड टेस्ट की मदद से आपका शुगर लेवल भी चेक किया जाता है। इस परीक्षण से जेसी इंटरनेशनल एक्सचेंज का पता लगाया जा सकता है।
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आरएच फैक्टर (RH Factor)
गर्भावस्था में होने वाले एआरएच टेस्ट में बच्चे की सेहत के लिए सबसे महत्वपूर्ण टेस्ट होता है। इस परीक्षण में लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) की सतह पर प्रोटीन पाया जाता है जो आरएच पॉजिटिव (RH Positive) कहलाया जाता है। अगर लाल रक्त कोशिका के सतह पर प्रोटीन नहीं पाया जाता है जो आरएच नेगेटिव (RH Negative) कहलाया जाता है।
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आरएच नेगेटिव (RH Negative) होना कोई बीमारी नहीं है पर यह गर्भावस्था को प्रभावित कर सकता है। अगर मां आरएच नेगेटिव है और बच्चा आरएच पॉजिटिव (Rh Positive) है तो आपकी गर्भावस्था को विशेष देखभाल की जरुरत है। या फिर डॉक्टर आपको प्रेगनेंट महिला को आरएच प्रोटीन का इंजेक्शन लगाते हैं।
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Fetal Sex Determination: थायराइड लेवल टेस्ट
गर्भावस्था की पहली तिमाही में डॉक्टर थायराइड लेवल (Doctor Thyroid Level) की जांच करते है। अगर आपको हाइपरथायराइड और हाइपोथायराइड (Hyperthyroid and Hypothyroid)है तो प्रेगनेंसी के दौरान मां को मॉनिटर किया जाता है ताकि बच्चे के विकास पर कोई असर न पड़े।
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अन्य टेस्ट
गर्भावस्था के दौरान सीबीसी टेस्ट (संपूर्ण रक्त परीक्षण), सिकेल सेल डिसऑर्डर और स्टीरेसीमिया टेस्ट कराना बेहद जरूरी है।विटामिन-डी टेस्ट भी बहुत जरूरी है क्योंकि कमी के कारण हृदय संबंधी विकार हो सकते हैं या बच्चे के विकास में हृदय संबंधी विकार हो सकते हैं और मां में भी प्रीक्लैंप्सिया का खतरा बढ़ सकता है।
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Vitamin B12 दिमाग और न्यूरोलॉजिकल (brain and neurological) विकास के लिए बेहद जरुरी है। इसकी कमी से बहुत गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती है जैसे बच्चे के दिमाग और नर्व्स का खराब विकास या फिर स्पाइना बिफिडा (Spina bifida) की समस्या होना।
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वक्त भले ही तेजी से बदलाव रहा, लेकिन आज भी बेटियों के साथ-साथ बच्चों को भी ज्यादा महत्व दिया जाता है। भारत में भ्रूणहत्या के लिंग जाचं पर सख्ती के बाद अब लोग नेपाल की ओर रुख कर रहे हैं। इन दिनों नेपाल, भारतीय नागरिकों के लिए भू लिंग जांच जांच केंद्र बनाया गया है।
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नेपाल में जहां अल्ट्रासाउंड के लिए शासन-प्रशासन ने आधार कार्ड अनिवार्य किया है, वहीं नेपाल में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यानि की बगैर किसी दस्तावेज के कोई भी अस्पताल जाकर अपनी जांच करा सकता है।