Haryana and Punjab High Court: हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है जिसमें कहा है कि अब हरियाणा में सरकारी नौकरियों के सामाजिक-आर्थिक आधार पर अतिरिक्त 5 अंक के प्रावधान को खत्म कर दिया हैं। हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है जिसमें कहा कि इस नीति को न हटाया जाएं।
आप सभी को पता ही है कि हरियाणा सरकार (Haryana Government) ने विशेष वर्गों के उम्मीदवारों को सामाजिक-आर्थिक आधार पर अतिरिक्त 5 अंक देने का ऐलान कर रखा था। लेकिन अब हाईकोर्ट ने इस फैसले को निरस्त करने का आदेश दे दिया हैं।
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हरियाणा के सीएम सैनी ने ‘एक्स’ (‘X’)पर एक पोस्ट में कहा
भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सरकार अब हाई कोर्ट के इस फैसले को वापिस लेने के लिए अपील की हैं। हरियाणा के सीएम सैनी ने ‘एक्स’ (‘X’)पर एक पोस्ट में कहा, है कि ये नंबर समाज के गरीब, कमजोर और वंचित वर्ग को आगे बढ़ाने के लिए यह योजना चलाई हैं। लेकिन इस योजना के खिलाफ फैसला लिया है और इसको निरस्त कर दिया जाएं।
सरकार ने कहा है कि वह उम्मीदवारों की इस लड़ाई में साथ है और हाईकोर्ट (High Court) से अपील कर रही हैं।
लेकिन इस याचिका में से एक वकील ने कहा है कि‘‘सामाजिक-आर्थिक मानदंड को असंवैधानिक और संविधान के
अनुच्छेद 14,15,16 का विरुध करने वाला है। एक खंड पीठ ने यह घोषणा की हैं।
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Haryana and Punjab High Court: सामाजिक-आर्थिक मानदंड को थोड़े समय पहले ही लागू किया
आपको बता दें कि कांग्रेस (Congress) नेता ने कहा है कि नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक के आधार पर
मिलने वाला अतिरिक्त 5 अंक को हटाने पर हरियाणा के 20 लाख से ज्यादा युवाओं के भविष्य पर बात आ
गई हैं। अब ‘‘ग्रुप ‘सी’ और ‘डी’ (‘C’ and ‘D’) तथा अन्य नौकरियों में इसको हटाने से इन भर्तीयों रद्द
कर दी गई हैं।
हरियाणा सरकार ने सामाजिक-आर्थिक मानदंड को थोड़े समय पहले ही लागू किया था। इसमें
मुख्य उद्देश्य यह था कि जो पिछड़ें वर्गों या किसी के घर में कोई भी सरकारी कर्मचारी नहीं है तो
उन वर्गों के उम्मीदवारों को सामाजिक-आर्थिक के आधार पर 5 अंक अतिरिक्त दिए जाएंगे।