Health Tips: हम सब जानते हैं कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान के हालात कितने खराब हैं। पिछले साल वहां से खबर आ रही थी कि खाने-पीने की चीजें और पेट्रोल इतनी महंगी हो गई हैं कि आम आदमी कंगाल हो रहा है। अंदरूनी लड़ाई, राजनीतिक रस्साकशी में उलझा यह देश हमेशा नकारात्मक खबरों की वजह से सुर्खियों में रहता है। पर, बीबीसी में आई है एक सकारात्मक और उत्साहवर्धक खबर।
कराची में बच्चों का एक स्कूल है, जहां जब बच्चा प्रवेश लेने जाता है, तो उसके साथ मां को भी प्रवेश लेना पड़ता है। उस स्कूल में अधिकांशत: ऐसे ही परिवार के बच्चे जाते हैं, जिनकी जिंदगी में अभाव है, दुख है और जिनका साथ देने वाला कोई नहीं। करांची के ल्यारी इलाके में सबीना खत्री ने यह स्कूल शुरू किया है। सबीना की अम्मी उन्हें बचपन में छोड़ कर पिता से अलग हो गईं। सबीना का बचपन सदमे में गुजरा। उन्हें हमेशा यह लगा कि स्कूल में किसी ने उनका दुख नहीं समझा। जब बड़ी हुईं तो लगा कि अपने जैसों के लिए उन्हें एक जगह बनानी चाहिए।
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Health Tips: बच्चे के साथ-साथ मां भी स्कूल में दाखिला लेंगी
इस स्कूल में मानव मूल्य, मानसिक स्वास्थ्य और भलाई जैसी बातों पर जोर दिया जाता है। वो कहती हैं, ‘मेरे स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने घर और बाहर जबरदस्त हिंसा देखी है, वो अलग माहौल से आते हैं। मुझे लगा कि इन घरों में मांओं की भी स्थिति सही नहीं होगी। इसलिए मैंने यह जरूरी नियम बनाया कि बच्चे के साथ-साथ मां भी स्कूल में दाखिला लेंगी। हम मांओं की जरूरी काउंसलिंग करवाते हैं, लाइफ स्किल्स सिखाते हैं और बच्चों की परवरिश की बातें सिखाते हैं।’
इस स्कूल में अपने बच्चे के साथ दाखिला लेने वाली तहमीना को आश्चर्य हुआ जब उससे कहा गया कि बेटे के साथ-साथ उसे भी स्कूल में दाखिला लेना पड़ेगा। तहमीना की शादी सोलह साल की उम्र में हुई थी। अगले ही साल शौहर से अलग होने के बाद वो बच्चे को बड़ी मुश्किल से अकेले पाल रही थीं। स्कूल में आने के बाद से उनकी मानसिक सेहत काफी ठीक है और वो अपने और बच्चे के बारे में सही ढंग से सोच पा रही हैं।
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पायल कपाड़िया पर गर्व करने की वजह यह है
पिछले कुछ समय से मुंबई की फिल्म निर्देशक पायल कपाड़िया की फिल्म ऑल वी इमेजिन इज लाइट चर्चा में है। कुछ दिनों पहले यह खबर आई कि 88वें गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड में उनकी फिल्म को सर्वश्रेष्ठ मोशन पिक्चर की श्रेणी में नामांकित किया गया है। यह नामांकन बेहद प्रतिष्ठित है और पायल कपाड़िया पहली भारतीय निर्देशक बन गई हैं, जिन्हें सवश्रेष्ठ फीचर फिल्म के लिए नामांकित किया गया है।
पायल कपाड़िया ने पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से फिल्म निर्देशन में पढ़ाई की है और इसी दौरान कई लघु फिल्में भी बनाईं। इससे पहले कान फिल्म समारोह में भी इस फिल्म ने मुख्य प्रतिद्वंदी श्रेणी में अवॉर्ड जीता था और खूब तारीफें बटोरी
थीं। यह फिल्म केरल से मुंबई आई नर्सों के जीवन और दोस्ती पर आधारित है। पायल एक जुझारू
और अलग सोचने वाली फिल्मकार हैं। इस समय वो देश की उन सभी लड़कियों की पथ प्रर्दशक
बन गई हैं, जो अलग और विचारणीय फिल्म बनाना चाहती हैं।
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Health Tips: शाकाहार से समझौता नहीं
हाल में भी हेल्थ जर्नल न्यूट्रीएंट्स में प्रकाशित खबर के अनुसार पचास साल के बाद महिलाएं
शाकाहारी खुराक लेकर उम्र को बढ़ने से रोक सकती हैं। इस अध्ययन में शामिल 1398
महिलाओं में से लगभग 23 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि प्लांट बेस्ड आहार के सेवन के बाद
से उनमें गजब का परिवर्तन आया है। उनकी त्वचा पहले से निखर गई है, मांसपेशियां मजबूत
हुई हैं और वो पहले से ज्यादा काम कर पा रही हैं। इस अध्ययन में शामिल विशेषज्ञ बीन्स,
सूखे मेवे और वेजिटेबल तेल के सेवन को प्राथमिकता देते हैं और मांसाहार में अंडा और मछली
को ही खाने में बेहतर बताते हैं।
NEWS SOURCE Credit : livehindustan