Mahadev Was Found By Shepherd: बिहार के लखीसराय में स्थित है अशोक धाम मंदिर. यहां भगवान भोलेनाथ की पूजा होती है. तीन नदी- किऊल, हरूहर और गंगा के मुहाने पर बसे इस मंदिर का बहुत महत्व है. इसे बिहार का बाबाधाम बोला जाता है. कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थित शिवलिंग को एक चरवाहा जिसका नाम अशोक है उसने खोजा था.
चरवाहा अशोक रोज अपनी गायों को चराने के लिए जाता था. गाएं जब चरने लगती थी तब वह दूसरे चरवाहों के साथ गिल्ली-डंडा खेलता था. 7 अप्रैल 1977 के दिन जब वह गिल्ली-डंडा खेलने के लिए लकड़ी के डंडे से गड्डा खोद रहा था तब उसके डंडे के नीचे एक काला पत्थर आया.
निक जोनस की कॉन्सर्ट में ब्रालेट, और स्कर्ट में खिल उठा प्रियंका चोपड़ा का अद्भुत सौंदर्य
मिट्टी खोदनी शुरू की तो वहां एक विशाल शिवलिंग था
इसके बाद चरवाहे ने जब पत्थर के आसपास की मिट्टी खोदनी शुरू की तो वहां एक विशाल शिवलिंग था. अशोक ने उस शिवलिंग को उखाड़ने की कोशिश की लेकिन वह जरा भी नहीं हिला.
फिर उसने अपने साथी चरवाहों की मदद से वहां से शिवलिंग को निकालने की कोशिश की लेकिन सब मिलकर भी शिवलिंग को हिला नहीं पाए. इसके बाद वहां उसी स्थान पर लोगों ने मंदिर का निर्माण कराया.
बग्गी से आए अनंत-राधिका… फिर मुकेश अंबानी की भावुक बातें, ‘आज जामनगर को ऊपर से देख खुश होंगे पिताजी’
Mahadev Was Found By Shepherd: सैकड़ों वर्ष पुराना है इतिहास
अशोक धाम मंदिर की स्थापना सात अप्रैल 1977 को हुई है. लेकिन इसका ऐतिहासिक महत्व सैकड़ों साल पुराना है. दावा किया जाता है कि 8वीं शताब्दी में ही यहां शिवलिंग की स्थापना की गई थी. तब पाल वंश के छठे सम्राट नारायण पाल यहां रोज पूजा करते थे. बाद में 12वीं शताब्दी में राजा इंद्रद्युम्न ने यहां विशाल मंदिर का निर्माण कराया था.
राजा इंद्रद्युम्न का महल लखीसराय की लाल पहाड़ी पर था. उन्होंने महल से मंदिर जाने के लिए एक सुरंग बनवाया था. बाद में मुगलों ने मंदिर को जमींदोज कर दिया. तब वहां स्थित शिवलिंग जमीन के अंदर गड़ा था और उसकी तलाश अशोक नाम के चरवाहे ने की. अशोकधाम में बाबा इंद्रदमनेश्वर महादेव की पूजा की जाती है.
चीन-पाक की हर हरकत पर पैनी नजर! 10 हजार करोड़ से अधिक कीमत के 97 मेड-इन-इंडिया ड्रोन खरीदेगा भारत
चरवाहे के नाम पर बना अशोकधाम
क्योंक शिवलिंग को अशोक ने खोजा था इसलिए इस मंदिर का नाम अशोकधाम पड़ा. बाद में अशोकधाम में भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया. 11 फरवरी 1993 को मंदिर के पुनर्निर्माण के बाद जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य ने शिवलिंग की विधि विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा कराई थी.
अशोक धाम मंदिर में दूर-दूर से लोग पूजा करने के लिए आते हैं. सावन माह और शिवरात्रि को दिन तो यहां लाखों भक्त बाबा को जल अर्पण करने पहुंचते हैं.
मलेशिया की लापता फ्लाइट MH370, 10 साल में किए 100 करोड़ खर्च, शायद फिर तलाश करने की हो रही तैयारी
Mahadev Was Found By Shepherd: इस दौरान मंदिर की छटा देखते बनती है
बाबा की पूजा के साथ ही यहां लोग बच्चों का मुंडन संस्कार कराने भी आते हैं. इसके साथ ही अशोक धाम मंदिर परिसर में वेद विद्यालय भी है. यहां छोटे-छोटे बच्चे वैदिक मंत्रोच्चारण करते नजर आते हैं.
अशोक धाम में करीब 25 करोड़ से अधिक की राशि से उच्चस्तरीय संग्रहालय बनाया गया है. पिछले साल जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह लखीसराय दौरे पर आए थे तब उन्होंने मंदिर में पूजा अर्चना की थी और संग्रहालय भी देखा था