Rishikesh: ऋषिकेश भगवान विष्णु के नाम हृषिकेश से प्रसिद्ध हैं. साथ ही भगवान विष्णु यहां वास करते हैं. यहां स्थापित भरत मंदिर हृषिकेश नारायण का मंदिर है. जहां रोज हजारों लोग माथा टेकने आते हैं. ये मंदिर ऋषिकेश की त्रिवेणी घाट रोड मुख्य बाजार पर स्थित है. स्थानीय लोगों के साथ ही घूमने आए पर्यटकों के बीच भी ये मंदिर काफी प्रसिद्ध है.
सालों पहले हृषिकेश के नाम से जाना जाता था. धीरे-धीरे वो हृषिकेश से ऋषिकेश में परिवर्तित हो गया है. ये भूमि ऋषि रैभ्य की तपस्थली है, यहां उन्होंने सदियों तक घोर तप किया. कहा जाता है कि उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर एक बूढ़े ब्राह्मण के रुप में भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए थे. भगवान विष्णु ने जब उन्हें वरदान मांगने को कहा तो रैभ्य ऋषि ने उनसे मांगा की ये तपस्थली उन्ही के नाम हृषिकेश से जानी जाए. तभी से भगवान विष्णु यहां विराजमान हैं.
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Rishikesh: ऋषिकेश
ऋषिकेश भगवान विष्णु के नाम हृषिकेश से प्रसिद्ध हैं. साथ ही भगवान विष्णु यहां वास करते हैं. यहां स्थापित भरत मंदिर हृषिकेश नारायण का मंदिर है. जहां रोज हजारों लोग माथा टेकने आते हैं. ये मंदिर ऋषिकेश की त्रिवेणी घाट रोड मुख्य बाजार पर स्थित है. स्थानीय लोगों के साथ ही घूमने आए पर्यटकों के बीच भी ये मंदिर काफी प्रसिद्ध है.
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सालों पहले हृषिकेश के नाम से जाना जाता था. धीरे-धीरे वो हृषिकेश से ऋषिकेश में परिवर्तित हो गया है. ये भूमि ऋषि रैभ्य की तपस्थली है, यहां उन्होंने सदियों तक घोर तप किया. कहा जाता है कि उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर एक बूढ़े ब्राह्मण के रुप में भगवान विष्णु ने उन्हें दर्शन दिए थे. भगवान विष्णु ने जब उन्हें वरदान मांगने को कहा तो रैभ्य ऋषि ने उनसे मांगा की ये तपस्थली उन्ही के नाम हृषिकेश से जानी जाए. तभी से भगवान विष्णु यहां विराजमान हैं.
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भगवान विष्णु यहां वास करते हैं
ऋषिकेश में स्थित कुंजापुरी देवी मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और यह 51 शक्तिपीठों में से एक है. इस मंदिर से जुड़ी एक कथा काफी प्रचलित हैं. भगवान शिव जब माता सती के वियोग को सह न सके तो वह क्रोधित होकर माता सती का शव लेकर शिव तांडव करने लगे. जिस कारण पूरे ब्रह्मांड पर प्रलय छाने लगा, यह देख भगवान विष्णु भगवान ने इस प्रलय को रोकने के लिए सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए. माता के शरीर के अंग और आभूषण 51 टुकड़ों में धरती पर अलग अलग जगहों पर गिरे, जो शक्तिपीठ बन गए. यह मंदिर एक शक्तिपीठ कहलाता है. और कुंजापुरी देवी मंदिर के नाम से सभी के बीच प्रसिद्ध है.
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Rishikesh: यहां लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
ऋषिकेश के चंद्रेश्वर नगर ,चंद्रभागा में स्थित चंद्रेश्वर महादेव मंदिर एक सिद्धपीठ है. यहां लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. आदिकाल में भगवान चंद्रमा को श्राप मिला था. तब चंद्रमा इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए ऋषिकेश के इस स्थान पर पहुंचे और गंगा के किनारे उन्होंने शिवजी की अराधना की.
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करीब 14,500 देव सालों के बाद देवों के देव महादेव ने एक बूढ़े ब्राह्मण के रूप में उन्हें दर्शन दिए और श्राप मुक्त करवाया. उसके बाद सन 1890 में स्वामी विवेकानंद जी ने भी यहां भगवान शिव का घोर तप किया. जिस गुफा में उन्होंने तप किया वो गुफा आज भी यहां मौजूद है लेकिन शिव रात्रि पर यहां का नजारा देखने लायक होता है.
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Rishikesh: यहां लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
यह मंदिर लगभग 1300 वर्ष पुराना है यहां एक तथा इस मंदिर की भक्तों में बहुत मान्यता है. हरिद्वार में दक्ष प्रजापति का यज्ञ चल रहा था जिसमे सभी देवी देवता आमंत्रित थे, पर राजा दक्ष ने अपनी बेटी सती और दामाद भगवान शिव को आमंत्रण नही दिया. भगवान के मना करने के बाद भी माता सती उस यज्ञ में चली गई. यहां लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. की वह उन्हीं का घर है तो आमंत्रण कैसा. सती पहुंची तो उन्होंने देखा कि वहां सभी देवी देवता आमंत्रित थे और यज्ञ चल रहा था, यह देख मां सती राजा दक्ष से पूछ बैठी की उन्हें आमंत्रण क्यों नहीं दिया,
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यह सुन राजा दक्ष ने भगवान शिव के लिए कई अपशब्दो का प्रयोग किया जो सती सुन नहीं पाई और हवन कुंड की अग्नि में खुद की आहुति दे दीभगवान शिव को यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने क्रोध में अपने सिर से एक जटा उखाड़ी और उसे रोषपूर्वक पर्वत के ऊपर पटक दिया.