Ashvamedha Yagyas: हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, यूपी के साथ साथ भारत के हर राज्य के साथ विदेश से भी लोग महाभारता कुरूक्षेत्र के नाम को जरुर जानते है भले ही वो कभी कुरूक्षेत्र न आए हो लेकिन कुरूक्षेत्र को उन्होंने नेट पर टीवी जरुर देख है। कुरुक्षेत्र का ब्रह्म सरोवर और सन्नहित सरोवर आस्था का केंद्र है। इन सरोवरों में स्नान करने के लिए श्रद्धालु दूर दूर से पहुंचते हैं. सूर्य ग्रहण के दौरान तो लाखों श्रद्धालु यहां पूजा करने और दीपदान करने आते है.
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कुरुक्षेत्र को ब्रह्माजी की यज्ञिय वेदी के नाम से पुकारा था
हरियाणा का ऐतिहससिक शहर कुरुक्षेत्र वह जगह है जहां 48 कोस की परिधि में महाभारत का युद्ध हुआ था, उस समय कुरुक्षेत्र को ब्रह्माजी की यज्ञिय वेदी के नाम से पुकारा था. बाद में इसका नाम इस जिले का नाम कुरुक्षेत्र पड़ा. कुरुक्षेत्र में बहुत कुछ देखने लायक है जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं.
वही ब्रह्मसरोवर और सन्नहित सरोवर भी है जिसमें स्नान करने से हजारों अश्वमेध यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है. कुरुक्षेत्र जिला को ब्रह्मा जी की यज्ञिय वेदी भी कहा जाता है, वहीं इस स्थान के नाम का आधार कुरु वंश से जुड़ा हुआ बताया गया है. यहां स्थित ब्रह्मसरोवर का निर्माण कौरवों और पांडवों के पूर्वज राजा कुरु ने करवाया था.
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सरोवरों में डुबकी लगाना हजारों अश्वमेघ यज्ञ करने के जितना पुण्य होता प्राप्त
विश्व प्रसिद्ध कुरूक्षेत्र के सरोवर में स्नान करने और पूजा करने के लिए भारत के साथ साथ विदेश से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. पंडितों के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान इन सरोवरों में डुबकी लगाना हजारों अश्वमेघ यज्ञ करने के जितना पुण्य प्राप्त होता है. यहां के लोगों की माने तो एक कथा प्रचलित है कि मुगल सम्राट अकबर के दरबारी अबुल फजल ने सूर्यग्रहण के समय सरोवर के जल को देख इसे लघु सागर के समान बताया था.
लौकिक कथाओ की माने तो कहां गया है कि युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध में अपनी जीत के लिए सरोवर के बीच स्थित द्वीप में मीनार का निर्माण करवाया था. उसी द्वीप में एक प्राचीन द्रौपदी कूप है. सरोवर के उत्तरी घाट पर स्थित भगवान शिव के मंदिर को सर्वेश्वर महादेव नाम दिया गया था. कहा जाता है कि इस शिव लिंग की स्थापना खुद भगवान ब्रह्मा ने की थी.
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Ashvamedha Yagyas: स्नान के साथ पूजा, दीपदान और इन सरोवरों की परिक्रमा
कुरुक्षेत्र के पवित्र ब्रह्मसरोवर के घाट पर हर वर्ष नवंबर और दिसंबर के बीच गीता जयंती समारोह का आयोजन कया जाता है. जिसमें स्नान करने के लिए लाखों श्रद्धालु देश विदेश से आते है। स्नान के साथ पूजा, दीपदान और इन सरोवरों की परिक्रमा करते हैं. वहीं रोजाना होने वाली सांय कालीन आरती तो देखने लायक है। सुबह और शाम के समय दूर-दूर से प्रवासी पक्षी सरोवर में आकर पानी में मस्ती करते है.
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Ashvamedha Yagyas: मां भद्र काली के दर्शन करने से सभी की मनोकामना होती है पूरी
पवित्र ब्रह्मसरोवर और सन्नहित सरोवरों में स्नान करने के बाद आप भद्र काली माता के दर्शन कर सकते है कहा जाता है कि मां भद्र काली के दर्शन करने से सभी तरह की मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही श्रीकृष्ण संग्रालय में आप महाभारत से जुडी सभी तरह की यादे ताजा कर सकते है।
अगर आप विज्ञान में रूचि रखते है तो आप पनोरमा में जाकर अपने ज्ञान को बढ़ा सकते है। वही जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता को उपदेश दिया था वह जगह है ज्योतिसर वहां पर आज भी वो पेड़ है जिसे देखने के लिए श्रद्धालु दूर दूर से आते है।