Ellenabad election: हरियाणा के ऐलनाबाद विधानसभा में चुनावी मुकाबला दिलचस्प मोड़ पर है, जहां इनेलो के अभय चौटाला चुनाव लड़ रहे हैं। कुछ दिन पहले अभय चौटाला ने भाजपा के हाईकमान से निवेदन किया कि भाजपा के सीनियर नेता और मजबूत प्रत्याशी मीनू बैनीवाल इस सीट से चुनाव न लड़ें, क्योंकि उनके चुनावी मैदान में उतरने से इनेलो की हार तय हो सकती है।
अभय चौटाला ने इस समझौते में प्रस्ताव दिया है कि यदि भाजपा मीनू बैनीवाल को टिकट न देकर किसी साधारण कार्यकर्ता को मैदान में उतारे, तो इनेलो की जीत के बाद वे भाजपा को समर्थन देंगे।
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अभय चौटाला की रणनीति
अभय चौटाला ने यह कदम इसलिए उठाया है, क्योंकि उन्हें मीनू बैनीवाल की राजनीतिक ताकत और उनके जनाधार का अंदाजा है। मीनू बैनीवाल को भाजपा में “थिंक टैंक” के रूप में देखा जाता है, और पार्टी के कई महत्वपूर्ण फैसलों में उनकी भूमिका अहम मानी जाती है। मीनू बैनीवाल न केवल एक मजबूत राजनीतिक चेहरा हैं, बल्कि उनके नेतृत्व में ऐलनाबाद क्षेत्र में कई विकास कार्य हुए हैं, जिससे जनता के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ी है।
Ellenabad election: चुनाव से बाहर रखा जाए
यदि मीनू बैनीवाल इस चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी बनते, तो वे इनेलो के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकते थे, इसलिए अभय चौटाला ने भाजपा से यह आग्रह किया कि उन्हें चुनाव से बाहर रखा जाए। उन्होंने इनेलो की जीत के बदले भाजपा को समर्थन देने की पेशकश की, जिससे इनेलो और भाजपा के बीच समझौते की संभावना बनी रहे।
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चुप्पी ऐलनाबाद की जनता के बीच असंतोष पैदा कर रही
हालांकि, मीनू बैनीवाल ने भाजपा के आदेश के बाद चुनाव से दूरी बनाए रखी है, लेकिन उनकी चुप्पी ऐलनाबाद की जनता के बीच असंतोष पैदा कर रही है। मीनू बैनीवाल को टिकट न मिलना और उनकी सक्रिय भूमिका न होना भाजपा समर्थकों के लिए निराशाजनक साबित हो रहा है। मीनू बैनीवाल को क्षेत्र में जनता का अपार समर्थन प्राप्त है, और उनकी अनुपस्थिति से भाजपा का मतदाता आधार कमजोर हो सकता है।
Ellenabad election: मीनू बैनीवाल भले ही चुनाव में सीधे तौर पर हिस्सा नहीं ले रहे
भाजपा के इस फैसले के कारण कई लोगों में नाराजगी बढ़ रही है, क्योंकि वे मीनू बैनीवाल को चुनाव में देखना
चाहते थे। उनकी चुप्पी और चुनाव से दूर रहना अभय चौटाला के लिए तो सकारात्मक हो सकता है, लेकिन
अभय चौटाला के लिए यह बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। मीनू बैनीवाल भले ही चुनाव में सीधे तौर पर
हिस्सा नहीं ले रहे हैं, लेकिन उनकी चुप्पी चुनावी नतीजों पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।
भाजपा के भीतर और समर्थकों के बीच इस फैसले को लेकर असंतोष है, और यह नाराजगी इनेलो को
समर्थन देने की बजाय कांग्रेस के पक्ष में भी जा सकती है। ऐसे में अभय चौटाला का यह कदम उन्हें
चुनावी नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि भाजपा के मतदाता अगर असंतुष्ट होते हैं, तो इसका सीधा
फायदा कांग्रेस को मिलेगा। ऐलनाबाद के चुनाव में चौटाला ने मीनू बैनीवाल को चुनाव से दूर रखने
की रणनीति अपनाई है, लेकिन मीनू बैनीवाल की चुप्पी इनेलो के लिए जोखिमभरी साबित हो
सकती है। जनता में बढ़ती नाराजगी और मीनू बैनीवाल की लोकप्रियता का अभाव अभय चौटाला
के लिए भी चुनौती बन सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव परिणाम पर इस रणनीति
का क्या प्रभाव पड़ता है और मीनू बैनीवाल की चुप्पी अंततः किसके लिए लाभदायक या
हानिकारक साबित होती है।