Lord Of Shiva: श्रद्धा कब कहा जाग जाए ये किसी को नही पता कही राह चलते पीले चावल के दाने मिल जाए तो वहां भी पूजा होती है तो कही गंगा के किनारे करते है शव का अंतिम संस्कार। हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश के गढ़मुक्तेश्वर धाम के बृज घाट की जहां हर दो मिनट में अपाकों नई चिता पर शव जलता नजर आएगा। मान्यता है कि बृजधाम पर शव का अंतिम संस्कार करने से उसे मोक्ष की प्राप्ती होती हे।
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भगवान शिव के गणों को पिशाच योनि से मुक्ति मिली थी
श्री श्याम बाला जी ज्योतिष केंद्र के संचालक विनोद शास्त्री ने बताया कि गढ़मुक्तेश्वर हिन्दुओं के लिए प्राचीन तीर्थ स्थल है। इस स्थान को गढ़मुक्तेश्वर इसलिए कहा जाता है क्योंकि कहते हैं यहीं भगवान शिव के गणों को पिशाच योनि से मुक्ति मिली थी। ग्रह मुक्तेश्वर गंगा नदी के किनारे स्थित है। गढ़मुक्तेश्वर आम तौर पर पितरों के पिंडदान के लिए प्रसिद्ध है। यहीं गढ़मुक्तेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान पर्व उत्तर भारत का सबसे बड़ा धार्मिक मेला आयोजित किया जाता है।
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Lord Of Shiva: हापुड से 35 किलो मीटर दूर
दिल्ली मुरादाबाद नेशनल हाईवे 24 पर हापुड से लगभग 35 कि.मी. की दूरी पर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल गढमुक्तेश्वर से 05 किमी दूरी पर गंगा नदी के किनारे बृजघाट स्थल स्थित है। यह दिल्ली से लगभग 119 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
सरकंडों से बने मूढ़े और फर्नीचर आइटम है मशहूर
दिल्ली मुरादाबाद नेशनल हाईवे 24 पर जब आप गढ़मुक्तेश्वर से थोड़ा पहले ही सड़क के दोनों और काफी संख्या में मूढ़े और सरकंडों से बने ऐसे ही अलग-अलग फर्नीचर आइटम देते है जिन्हें खरीदने का सबका मन करता है। अगर आप परम्परागत चीजों के शौक़ीन हैं तो आपको यहाँ घर के लिए खूब सारे वैरायटी में मूढ़े मिल जायेंगे। कीमत पांच सौ से शुरू होकर तीन चार हज़ार तक।
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Lord Of Shiva: हरिद्वार में हर की पौड़ी जैसा ही पवित्र है ये घाट
गढ़मुक्तेश्वर का सबसे प्रसिद्ध घाट है- ब्रजघाट। ब्रजघाट घाट हिन्दू धर्म में उतना ही पवित्र माना जाता है जितना कि हरिद्वार में हर की पौड़ी, वाराणसी के घाट, प्रयागराज के घाट, अयोध्या और ऋषिकेश के घाटआदि। इसलिए गढ़मुक्तेश्वर का नाम हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में आता है।
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आस्था के साथ थोडी मस्ती भी
यहां गंगा नदी में पतरों को तपर्ण करने के बाद बोटिंग करने की सुविधा भी है आप नाव में बैठकर नदी के बीच में बने टापू पर जा सकते हैं। वास्तव में गंगा नदी के एक छोर से दूसरे छोर तक नाव में जाना हमारे लिए बिलकुल खास अनुभव था। शांत बहती गंगा नदी और आसमान में छाए हल्के नीले बादल आपको एकबारगी ऐसा फील करवाएंगे जैसे कि आप जन्नत में आ गए हो।
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Lord Of Shiva: गढ़मुक्तेश्वर धाम क्यो प्रसिद्ध है
गढ़मुक्तेश्वर में अपने पितरों का पिंडदान और तर्पण किया जाता है। गढ़मुक्तेश्वर पितरों का पिंडदान करने के बाद गया श्राद्ध करने की आवश्कता नहीं होती है। बताया जाता है कि पांडवों ने महाभारत के युद्ध में मारे गये अपने पितरों का पिंडदान गढ़मुक्तेश्वर में ही किया था।
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यहां कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को पितरों की शांति के लिए दीपदान करने की परम्परा भी रही है सो पांडवों ने भी अपने पितरों की आत्मशांति के लिए मंदिर के समीप गंगा में दीपदान किया था तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक यज्ञ किया था। तभी से यहां कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगना प्रारंभ हुआ।