Malaysian Government Renews Flight: मलेशिया के परिवहन मंत्री ने बताया कि मलेशियाई सरकार नए सिरे से फ्लाइट MH370 की खोज करने पर विचार कर रही है. एक दशक पहले 8 मार्च 2014 को कुआलालंपुर से बीजिंग जाते समय मलेशिया एयरलाइंस की फ्लाइट MH370 अचानक गायब हो गई थी. ये घटना इतिहास में दुनिया के सबसे बड़े और अनसुलझे विमान रहस्यों में से एक है. फ्लाइट MH370 की कहां क्रैश हुई थी और इसको खोजने के लिए एक बार फिर क्यों अभियान शुरू हो रहा है केवल आपके लिए।
MH370 फ्लाइट में 227 यात्री और 12 चालक दल के सदस्य सवार थे. सुबह 12 बजकर 41 मिनट पर विमान ने उड़ान भरी और 20 मिनट में ही वो 10,700 मीटर की ऊंचाई पर थी. शेड्यूल के हिसाब से फ्लाइट MH370 को सुबह 6:30 बजे तक बीजिंग पहुंच जाना चाहिए था. लेकिन उड़ान भरने के एक घंटे के अंदर ही एयरप्लेन रडार से रहस्यमय तरीके से गायब हो गया. प्लेन से पायलट ने कोई संकट का संदेश भी नहीं भेजा था.
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फ्लाइट MH370 ने अपना
आखिरी ACARS ट्रांसमिशन सुबह 1.07 बजे भेजा था. ACARS (एयरक्राफ्ट कम्युनिकेशन एड्रेसिंग एंड रिपोर्टिंग सिस्टम) ऐसा सिस्टम है जिसके जरिए विमान में लगे कंप्यूटर जमीन पर मौजूद कंप्यूटरों से संपर्क कर सकते हैं. सुबह 1:37 पर इसे फिर से ट्रांसमिशन भेजना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. इस बीच विमान के पायलट और मलेशिया के एयर ट्रैफिक कंट्रोल की बातचीत भी हुई.
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Malaysian Government Renews Flight: मलेशियाई अधिकारियों ने जांच में पाया
कि लगभग 1:19 बजे, पायलट या को-पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल से कहा था, ‘गुड नाइट मलेशियन 370’. कुछ मिनटों बाद, जब विमान दक्षिण चीन सागर के ऊपर वियतनामी हवाई क्षेत्र में एंट्री करने वाला था, विमान का ट्रांसपोंडर बंद हो गया.
विमान का ट्रांसपोंडर ग्राउंड रडार के साथ संपर्क करता है. हैरानी वाली बात यह थी कि प्लेन वियतनाम गया ही नहीं. वियतनाम के ट्रैफिक कंट्रोल ने सुबह 1:21 बजे इस बात की पुष्टि की.
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फ्लाइट MH370 कहां गया पता नही
जैसे ही फ्लाइट में गड़बड़ी का पता चला, मलेशिया की सैन्य और नागरिक रडार से विमान को ट्रैक किया जाने लगा. इसमें पता चला कि विमान घूमकर दक्षिण-पश्चिम में मलय प्रायद्वीप की तरफ और फिर उत्तर-पश्चिम में मलक्का स्ट्रेट के ऊपर उड़ गया. थाईलैंड की सैन्य रडार ने भी पुष्टि की कि विमान अंडमान सागर के ऊपर पश्चिम और फिर उत्तर की ओर मुड़ गया.
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जब रडार में प्लेन दिखना बंद हो गया, तब हिंद महासागर के ऊपर स्थित एक सैटालाइट के सिग्नलों की मदद से फ्लाइट को आगे ट्रेक किया गया. सैटालाइट को फ्लाइट से आखिरी सिग्नल सुबह 08:11 बजे मिला.
Malaysian Government Renews Flight: विमान के लापता होने के तुरंत बाद
उसकी खोज शुरू हो गई. पहले उसे दक्षिण चीन सागर में ढूंढा गया. हालांकि, लापता होने के एक हफ्ते बाद हिंद महासागर की सैटालाइट के सिग्नलों का खुलासा हुआ. इसके बाद खोज का दायरा लगभग 30 लाख स्क्वायर मील तक बढ़ा दिया गया, जो पृथ्वी की सतह का लगभग 1.5% है.
कुछ दिनों बाद मलेशियाई अधिकारियों द्वारा जारी किए गए ट्रैकिंग डेटा से यह पुष्टि होती दिखाई दी कि विमान ऑस्ट्रेलिया के दक्षिण पश्चिम में हिंद महासागर में क्रैश हुआ है. महासागर की गहराई में सालों तक प्लेन की तलाश चली. इस दौरान प्लेन के कुछ हिस्से समुद्री तटों पर मिले थे, लेकिन फ्लाइट के बारे में कोई सुराग नहीं मिला.
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क्यों शुरू हुई MH370 की खोज?
लापता फ्लाइट के 227 यात्रियों में 153 चीनी और 38 मलेशियाई थे. इनके साथ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत, फ्रांस, सहित बाकी देशों के यात्री भी सवार थे. विमान को ढूंढने के लिए अलग-अलग देशों की सरकार ने अभियान चलाया. जनवरी 2017 तक मलेशिया, चीन और ऑस्ट्रेलिया के संयुक्त अभियान ने क्षिणी हिंद महासागर में 120,000 वर्ग किमी पर तलाश की थी. इस ऑपरेशन की लागत करीब 100 करोड़ रुपए थी, जिसका भुगतान ऑस्ट्रेलिया और मलेशिया ने किया. सफलता न मिलने पर अभियान को बंद कर दिया गया.
2018 में अमेरिका की एक प्राइवेट कंपनी ओशियन इन्फिनिटी ने लापता प्लेन की खोजने की पेशकेश की. ओशियन इन्फिनिटी एक समुद्री रोबोटिक्स कंपनी है. सरकार के साथ हुए समझौते में तय हुआ कि अगर प्राइवेट कंपनी प्लेन को नहीं ढूंढ पाती है, तो उसे कोई भी फीस नहीं दी जाएगी. इसे ‘नो फांइड, नो फी’ कहा गया. 2018 में नाकाम कोशिश के बाद ओशियन इन्फिनिटी ने समुद्र तल को खंगालने के लिए एक और ‘नो फांइड, नो फी’ का प्रस्ताव मलेशिया सरकार को दिया है. कंपनी का दावा है कि उसे दुर्घटना से जुड़े कुछ नए सबूत मिले हैं. अगर सबूत विश्वसनीय पाए जाते हैं, तो मलेशिया सरकार खोज को फिर से शुरू करने के लिए ओशियन इन्फिनिटी के साथ एक नए कान्ट्रेक्ट पर साइन कर सकती है