Sanaatan Dharm: सनातन धर्म में अक्सर माता-पिता और बड़ों के पैर छूने की प्रथा है। यह परंपरा सदियों पुरानी है। इस प्रथा के जरिए बड़ों को सम्मान देने की परंपरा है। हमारे पौराणिक शास्त्रों में बताया गया है कि किन लोगों के पैर नहीं छूने चाहिए और किन लोगों के पैर नहीं छूने चाहिए। अगर आप गलत लोगों के पैर छूते हैं तो आपको जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। आइए इस विषय पर विस्तार से जानते हैं। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति पूजा-पाठ में ध्यान लगा रहा हो तो उसके पैर नहीं छूने चाहिए और इस बात को नजरअंदाज कर देना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से पूजा में बाधा आती है, जिसे अशुभ माना जाता है।
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Sanaatan Dharm: यहां पैर छूना हो सकता है अशुभ
कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति पूजा-पाठ में ध्यान लगा रहा हो तो उसके पैर नहीं छूने चाहिए और इस बात को नजरअंदाज कर देना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से पूजा में बाधा आती है, जिसे अशुभ माना जाता है। एक मान्यता के अनुसार मंदिर में भी किसी के पैर छूना सही नहीं माना जाता है। कहते हैं मंदिर भगवान का स्थान होता है, इसलिए अगर आप पैर छूते हैं तो मंदिर की पवित्रता भंग होती है।
बेटियों को देवी का दर्जा दिया गया है
सनातन धर्म में बेटियों को देवी का दर्जा दिया गया है। तो ऐसे में भूलकर भी बेटियों के पैर छूना अशुभ माना जाता है। ध्यान देने वाली बात यह है कि आपको बेटियों से अपने पैर नहीं छूने देने चाहिए। क्योंकि ऐसा होने पर आप पाप के भागीदार बनते हैं। मान्यताओं के अनुसार आप अपने सम्मान से अपने पैर नहीं छूवा सकते। चाचा-चाची अपने भतीजे-भतीजियों से पैर नहीं छूवा सकते।
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